लोगों की जिंदगी में दुख और सुख एक ऐसा पहलू है, जो हमेशा आता रहता है. कई लोग अपने बुरे वक्त में उसका डटकर सामना करते हैं, तो कई लोग अपने मुसीबत वाले समय में घबरा जाते हैं. आपको बता दें कि जो लोग अपने मुसीबत के समय भी डट कर खड़ा रहते हैं, वह अपने जीवन में सफल हो पाते हैं. तो वहीं जो लोग मुसीबत या फिर यूं कहें कि अपनी तकलीफ घबरा जाते हैं, वह अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाते. आज ऐसे ही हम आपको एक कहानी बताने वाले हैं. जहां बुरे वक्त से लड़ना और कुछ कर दिखाना है. आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताएंगे, जिन्होंने कड़ी मेहनत करके पूरे समाज के लिए एक मिसाल कायम किया है.
जन्म से पहले ही हो गई थी पिता की मृत्यु
आज हम आपको जिस व्यक्ति के बारे में बताने वाले हैं उनका नाम डॉ राजेंद्र भारुड है. मालूम हो कि डॉक्टर राजेंद्र महाराष्ट्र के रहने वाले हैं. जब राजेंद्र अपनी माँ के पेट में थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई थी. जिसके बाद गांव वालों ने राजेंद्र की मां को यह सलाह दी थी कि अपने बेटे को गिरा दें. यही नहीं बल्कि कई गांव वालों ने यह भी कहा था कि वह अकेले अपने बेटे को नहीं पाल सकती इस से अच्छा है कि, उसे अपने पेट में ही मार दे. लेकिन राजेंद्र की माँ काफी शक्तिशाली महिला हैं, उन्होंने अपने बेटे को नहीं मारा और अपने बच्चे को जन्म दिया.
राजेंद्र के पैदा होने के बाद उनकी मां ने खुद ही काम करके अपने बेटे का पालन पोषण किया. मालूम हो कि राजेंद्र की माँ शराब बेचने लगी और शराब बेचकर अपने बेटे का पालन पोषण करती थीं. यही नहीं बचपन में जब राजेंद्र रोते थे, तो कुछ शराबी उनके मुंह में दो-चार बूंद शराब डाल दिया करते थे, जिससे राजेंद्र चुप हो जाया करते थे. जिसमें एक बच्चे को दूध की आवश्यकता होती है, उस समय राजेंद्र के मुंह में शराब दिया जाता था. इन परिस्थितियों में राजेंद्र का पूरा बचपन गुजरा. जब राजेंद्र थोड़ा बड़े हुए तो उन्होंने सोचा कि पढ़कर ही वह अपने एवं अपने परिवार की स्थिति सुधार सकते हैं.
राजेंद्र शुरू से ही पढ़ने में काफी अच्छे थे और उनकी माँ ने भी उनकी पढ़ाई में पूरा साथ दिया. राजेंद्र ने मुंबई के एक कॉलेज से मेडिकल में ग्रेजुएशन किया है. लेकिन उनकी मंजिल कुछ और ही थीं. वह सिविल सेवा में जाना चाहते थे, जिसके बाद साल 2012 में उन्होंने भारत की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी को पास किया और एक अफसर बन गए. आईएएस अधिकारी बनने के बाद उन्होंने न केवल अपनी माँ बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन किया.
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