भारत में इन दिनों आरजेएस परीक्षा के परिणाम की खबरें सुर्खियों में बनी हुई हैं. जैसे ही आरजेएस परीक्षा का परिणाम सामने आया है, एक से बढ़कर एक सफलता की कहानी देखने को मिल रही है. कई ऐसे लोगों ने भी आरजेएस की परीक्षा में सफलता हासिल की है, जिनका जिंदगी काफी संघर्ष भरा रहा है . उन्होंने कड़ी मेहनत करके आरजेएस की परीक्षा में सफलता हासिल की और एक मिसाल कायम किया. ऐसे ही आज हम एक महिला के बारे में बताने वाले हैं, जिसका नाम वीणा शुक्ला है. आपको बता दें कि बिना शुक्ला भारत के राज्य राजस्थान की उदयपुर शहर की रहने वाली हैं. वीणा शुक्ला की जिंदगी काफी मुश्किल भरा रहा है. उन्होंने अपने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव भी देखे हैं. आज हम आपको वीणा शुक्ला की संघर्ष वाली जिंदगी के बारे में बताएंगे.

6 साल की उम्र में हो गई की पिता की मृत्यु
वीणा शुक्ला की शुरुआती जिंदगी के बारे में बात करें, तो जब वह केवल 6 साल की थी, तब उनके पिता का देहांत हो गया था. पिता की मौत के बाद उनका जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है. मालूम हो कि जब वीणा पैदा हुई थी तब उनके पिता ने सोचा था कि, उनकी बेटी जज बने. यही नहीं बल्कि उनके पिता का यह सपना था कि, उनकी बेटी कड़ी मेहनत करके जज बने. जब वीणा शुक्ला ने अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी की, तब उन्होंने अपने पिता के सपने को साकार करने का लक्ष्य बना लिया और उन्होंने चौथे प्रयास में यह सफलता हासिल करली.

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस बार आरजेएस भर्ती परीक्षा में लड़कियों ने पूरी तरह से बाजी मार ली है. लड़कियों की सफलता के पीछे की अलग-अलग कहानी देखने को मिल रही है. इस बार लड़कों से ज्यादा लड़कियों ने सफलता हासिल की है. इसी बीच उदयपुर की रहने वाली वीणा शुक्ला का नाम इन दिनों की खबरों में बना हुआ है. वीणा शुक्ला के खबरों में बने रहने के पीछे की सबसे बड़ी वजह यह है कि, जब वीणा काफी छोटी थी, तब उनके पिता का देहांत हो गया था. जिसके बाद उनका लालन पोषण उनकी माँ ने किया. यही नहीं बल्कि आशुतोष के लोग उनकी माँ को ताना भी देते थे कि, अपनी बेटी के साथ गांव चली जाओ. तुम इसे पढ़ा नहीं सकती हो, लेकिन उनकी माँ ने कभी हार नहीं मानी और अपनी बेटी को खूब पढ़ाया.

कई सालों के लंबे मेहनत के बाद रीना को आखिरकार आरजेएस भर्ती परीक्षा में सफलता हासिल हुई. हालांकि यहाँ तक का सफर उनके लिए आसान नहीं था. इस सफर में पहले 3 प्रयासों में वीणा के हाथ निराशा ही हाथ लगी. लेकिन चौथे प्रयास में उन्होंने बाजी मार ली और आरजेएस भर्ती परीक्षा में सफलता हासिल कर ली.
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