कारगिल युद्ध हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच हुए इस युद्ध में भारतीय सेना के जवानों के पराकर्म की जीत हुई थी. भारतीय सेना ने इस युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटा दी थी लेकिन इस युद्ध के दौरान हमारे देश के कई वीर जवान भी शहीद हुए थे. इन वीर जवानों में से एक कैप्टन सौरभ कालिया भी थे. जो पहली सैलरी मिलने से पहले ही शहीद हो गए थे. कहा जाता है उस समय उनकी उम्र महज 22 वर्ष थी. जब सौरभ कालिया शहीद हुए उस समय से 4 महीने पहले ही उन्होंने भारतीय सेना ज्वाइन की थीं. फिलहाल इनके घर वालों के पास इनका साइन किया हुआ चेक रखा हुआ है. जिसकी बदौलत यह पहली सैलरी हासिल करने वाले थे लेकिन कुदरत को यह मंजूर नहीं था और छोटी सी उम्र में ही देश का यह लाल अलविदा कहकर चला गया.
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पाकिस्तान ने की थी खूब बर्बरता
भले ही कारगिल युद्ध को 23 साल का वक्त बीत चुका है लेकिन इस युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के परिवारों में आज भी शोक का माहौल बना रहता है. इन्हीं परिवारों में से एक कैप्टन सौरभ कालिया का परिवार भी है. इस युद्ध में सौरव कालिया पाकिस्तान का निशाना बने थे. इस दौरान पाकिस्तानी सेना ने इनके साथ खूब बर्बरता की थी और उनके कई अंग काट कर रख लिए थे यहां तक कि उनके गुप्तांगों को भी नुकसान पहुंचाया गया था. सौरभ कालिया के साथ इस दौरान कई जवान भी शहीद हुए थे. जिनमें से सिपाही अर्जुन राम, बंवर लाल, भीखाराम, मूला राम और नरेश सिंह इनके साथ थे. सौरभ कालिया के घरवाले बताते हैं कि वह कुछ ही समय बाद छुट्टी पर घर आने वाले थे. यहां तक कि उनकी पहली सैलरी भी नहीं आई थी. 4 महीने पहले ही सौरभ आर्मी में ज्वाइन हुए थे और 4 महीने बाद ही उनकी शहादत की खबर ने घरवालों को बुरी तरह तोड़ कर रख दिया था.
बेटे को वर्दी में देखना चाहते थे माता पिता
उनके माता-पिता के मुताबिक सौरभ कालिया को आर्मी में जाए हुए महज 4 महीने का वक्त बिता था और कुछ ही समय बाद यह छुट्टी लेकर घर आने वाले थे. उनके घर वालों की इच्छा थी कि उनका बेटा आर्मी की वर्दी में उनके सामने खड़ा हो और वह उसे सैलूट करें. लेकिन इनके माता-पिता का यह सपना पूरा नहीं हो पाया और उससे पहले ही उनके बेटे का शव तिरंगे में लिपटकर देश लौटा. भले ही इनको उस समय दुख हुआ लेकिन इसके साथ-साथ इन्हें काफी गर्व महसूस हुआ.
उन्होंने कहा कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ है. यह उनके लिए गर्व की बात है. कारगिल युद्ध को 23 साल का वक्त बीत चुका है लेकिन जब भी कारगिल युद्ध की बात की जाती है तो सौरव कालिया का नाम सबसे पहले आता है. छोटी सी उम्र में ही देश के नाम अपनी जिंदगी करने वाले सौरभ कालिया भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वे अपनी शहादत की बदौलत हमेशा ही लोगों के दिलों में बने रहेंगे.
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