यूपीएससी की परीक्षा में पास होने के लिए अभ्यर्थी को दिन-रात जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है. यह परीक्षा अभ्यर्थी से त्याग और कठिन परिश्रम मांगती है. वहीं अभ्यर्थी के अंदर धैर्य होना भी बहुत जरूरी है. बहुत सारे ऐसे अभ्यर्थी होते हैं. जो पहले प्रयास में असफल होकर ही हार मान कर बैठ जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी अभ्यर्थी होते हैं. जो आखिर तक कोशिश करते रहते हैं और आखिरी प्रयास में सफलता के आयाम स्थापित करते हैं. ऐसी ही एक अभ्यर्थी नमिता शर्मा भी हैं. जिन्हें आखिरी प्रयास में सफलता मिली और उन्होंने चार बार असफल होने के बाद पांचवें प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा को पास किया था.
अनेकों बार मिली असफलताएं
दिल्ली से ताल्लुक रखने वाली नमिता पढ़ाई में ही हमेशा से होशियार रहीं. उन्होंने 12th के बाद इंजीनियरिंग करने का फैसला लिया और इसके बाद इन्हें एक कंपनी में नौकरी भी हासिल हुई. हालांकि, उन्होंने 2 साल बाद ही इस नौकरी को छोड़कर यूपीएससी की परीक्षा देने का मन बना लिया. इन्होंने पहली दो परीक्षाएं थोड़ी बहुत तैयारी के साथ दी लेकिन उन्हें इस दौरान निराशा हाथ लगी. नमिता शर्मा पहले दो प्रयास में प्री परीक्षा भी पास नहीं कर पाई थी. ऐसी स्थिति में उन्होंने हार नहीं मानी बल्कि दोबारा से प्रयास किया दो और एग्जाम दिए. लेकिन इनमें भी यह असफल हो गई, और इस बार भी यह रिजल्ट से निराश रही इस बार भी इनका प्री एग्जाम क्लियर नहीं हो पाया.
पांचवें प्रयास में हासिल की सफलता
नमिता शर्मा पूरे 4 बार असफल हुई इस दौरान उन्होंने 7 साल तक धैर्य बनाए रखा और 7 साल तक नौकरी के साथ पढ़ाई करती रहीं. इन्होंने नौकरी और पढ़ाई दोनों को अच्छी तरीके से मैनेज किया और पांचवें प्रयास में नमिता शर्मा ने इस परीक्षा को साल 2018 में 129 वीं रैंक के साथ पास किया था. बता दें, इससे पहले इनका सिलेक्शन साल 2016 में सीजीएल में हो गया था. घर की आर्थिक कंडीशन को देखते हुए इन्होंने एसएससी सीजीएल की इस नौकरी को ज्वाइन कर लिया और साथ ही पढ़ाई भी जारी रखी. सफल होने के बाद नमिता शर्मा कहती हैं. हमें आधी अधूरी के साथ एग्जाम नहीं देना चाहिए. जब हम एग्जाम देते हैं तो टूट जाते हैं. अगर हम टूटने का हौसला रखते हैं तो हमें बिल्कुल एग्जाम देना चाहिए.
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