Amalaki Ekadashi: हिंदू धर्म के अनुसार हर माह में दो एकादशी आती है। जिसका अर्थ होता है कि, एक पूरे वर्ष में 24 एकादशी तिथि पड़ती हैं। एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है। दोनो एकादशी का अपना अलग महत्व होता है। फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहा गया है। इस बार आमलकी एकादशी 14 मार्च दिन सोमवार को पढ़ने वाली है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही आंवले के वृक्ष की भी पूजा भी करनी चाहिए। हमारे हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार अमालकी एकादशी पर आंवले के वृक्ष की पूजा करने से सौ गायों का दान करने के बराबर पुण्य की प्राप्त होता है। आमलकी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद एकादशी के महत्व की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए। इस पर्व को आंवला एकादशी या आमली ग्यारस भी कहा जाता है।
आमलकी एकादशी का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) तिथि 13 मार्च की सुबह 10.21 मिनट पर शुरू हो जाएगी और अगले दिन 14 मार्च को दोपहर 12.05 मिनट तक रहेगी।उदया तिथि के अनुसार 14 मार्च को व्रत रखा जाएगा। इस वर्ष यानी 2022 में आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। यह योग बहुत ही शुभ और फलदायी होताहै। जो कि सुबह 06.32 मिनट से रात्रि 10.08 मिनट तक रहेगा। व्रत का पारण 15 मार्च की सुबह 06.31 मिनट से 08.55 मिनट तक किया जा सकता है।
यह कहते है कि, आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) व्रत अगर पुष्य नक्षत्र में रखा जाए तो इसका पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। ये व्रत करने से जातक को मृत्यु के पश्चात जीवन और मृत्यु के इस चक्र से मुक्ति मिल जाती है। इस साल 2022 में आमलकी एकादशी पर पुष्य नक्षत्र रात्रि 10.08 मिनट तक रहेगा।
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आमलकी एकादशी का महत्व
कहते है कि आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा आराधना की जाती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार सृष्टि की रचना करते के लिए श्रीहरि विष्णु ने पहले ब्रह्मा जी को जन्म दिया। कहते है कि इसी समय श्री नारायण ने आंवले के वृक्ष को भी जन्म दिया। इसी कारण से उन्हें आंवला इतना प्रिय है। इसलिए ही यह मान्यता है कि, आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करने से एक हजार गाय दान के समान पुण्य मिलता है। आमलकी एकादशी के दिन आंवला पूजन, आंवले के जल से स्नान और दान आदि करना चाहिए। इससे भगवान श्री हरि विष्णु प्रसन्न हो जाते हैं।