दुनिया में ऐसा कहा जाता है कि अगर आप किसी भी चीज को पूरी शिद्दत से चाहो तो वह चीज आपको जरूर मिलती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है उत्तराखंड के रहने वाले हिमांशु गुप्ता ने. जी हाँ आपको बता दें कि एक समय में हिमांशु गुप्ता की स्थिति काफी खराब थी. यही नहीं बल्कि वह दोस्तों से छुप कर चाय बेचा करते थे, ताकि उनके दोस्त उनका मजाक ना उड़ाए. लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उनकी शुरुआती जिंदगी भले ही कठिनाई भरी थी, लेकिन उनके सपने काफी बड़े थे. चाय बेचने से लेकर उन्होंने आईएएस अफसर बनने तक का सफर पूरा किया है. आज हम आपको हिमांशु गुप्ता की निजी जिंदगी के बारे में बताएंगे.
दिल्ली में पिता के साथ बेचा करते थे चाय
हिमांशु गुप्ता साल 2020 में यूपीएससी की परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद आईएएस ऑफिसर बन गया. हालांकि उन्होंने यह परीक्षा साल 2017 में ही पूरी कर ली थी. लेकिन साल 2017 के परीक्षा के बाद उन्हें मनचाहा पोस्ट नहीं मिल सका. जिसके बाद उन्होंने साल 2019 में एक बार फिर से प्रयास किया और वह आईपीएस बन गए, लेकिन उनका सपना आईएएस बनने का था. यही कारण है कि उन्होंने साल 2020 में भी यूपीएससी की परीक्षा दी और फिर आखिरकार वह आईएस ऑफिसर बन गए. लेकिन आपको बता दें कि हिमांशु गुप्ता की शुरुआती जिंदगी काफी संघर्ष भरा रहा है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि हिमांशु गुप्ता स्कूल जाने से पहले अपने पिता के साथ काम करते थे. वह दिल्ली में अपने पिता के साथ चाय बेचा करते थे. दोस्तों से छुपकर चाय बनाया करते थे, लेकिन एक बार उनके दोस्त ने उन्हें चाय बनाते हुए देख लिया था. जिसके बाद पूरे स्कूल में सब उन्हें चाय वाला बोला करते थे. उन्होंने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि, उनकी घर की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी. सब मिलाकर उनके घर में रोज का 400 नहीं होता था, इसी में वह लोग गुजारा करते थे.
मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में हिमांशु गुप्ता कहते हैं कि, “मैं स्कूल जाने से पहले और बाद में पिता के साथ काम करता था. स्कूल 35 किमी दूर था, आना-जाना 70 किमी होता था. मैं अपने दोस्तों के साथ एक वैन में स्कूल जाता था. जब भी मेरे दोस्त मेरे चाय के ठेले के पास से गुजरते थे, मैं छिप जाता था. लेकिन एक बार किसी ने मुझे देख ही लिया और मेरा मजाक उड़ाना शुरू कर दिया. सभी दोस्त मुझे चायवाला कहकर पुकारने लगे थए. मेरे पापा अक्सर कहते थे। सपने सच करने है तो पढ़ाई करो. इसलिए मैंने दोस्तों की बातों को अनसुना कर दिया और पढ़ाई पर फोकस किया.
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