एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन वैक्सजेवरिया (vaxzevria )कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन से लड़ने में सक्षम बताई जा रही है।
ओमिक्रोन जो कि कोरोना का ही एक नया वेरिएंट है जिसे सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना में पहचाना गया था, और 120 से भी ज्यादा देशों में अपने पैर पसार चुका है, और WHO ने जिसे चिंता का विषय बताया था।
हाल ही में खबर आई है vaxzevria कोरोना के नए वेरिएंट से लड़ने में बहुत कारगर है, ये वैक्सीन को लगाने से शरीर में अधिक मात्रा में एंटीबॉडी बनने लग जाते है।
स्वास्थ और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार देश भर अब तक कुछ 100करोड़ कोरोना डोशेज लग चुके है है और अभी भी जारी है।
और अब इसी में ओमिक्रोन के आने के बाद से बूस्टर डोज लगना भी शुरू हो गया है।
पहले लगाई गई दोनो डोज ओमिक्रॉन के खिलाफ काफी असरदार बताई जा रही है और अब तीसरी बूस्टर डोज को भी ऑमिक्रोन के खिलाफ बहुत ही कारगर बताया जा रहा है।स्टडी की माने तो भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की बूस्टर डोज (Covaxin booster dose) ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट पर असरदार तरीके से काम कर रही है। और अब एस्ट्राजेनेका की बूस्टर डोज वैक्सजेवरिया ओमिक्रॉन से लड़ने के लिए ज्यादा मात्रा में एंटीबॉडी बना रही है।
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खास बात यह है कि ट्रायल की पहली स्टेज के डेटा से पता चलता है कि कोरोना की तीसरी डोज वैक्सजेवरिया ओमिक्रॉन के साथ ही कोरोना के अन्य वेरिएंट बीटा, डेल्टा, अल्फा और गामा सहित अन्य सभी के लिए भी एंटीबॉडी बना रही है। इसे बतौर बूस्टर डोज के रूप पर दिया जाएगा। एस्ट्राजेनिका के निर्माता ने कहा कि वैक्सजेवरिया और mRNA वैक्सीन लगवाने वालों में एंटीबॉडी की संख्या बढ़ी हुई पाई गई।
एक लैब बेस्ड स्टडी में पाया गया है कि वैक्सजेवरिया का तीसरा डोज तेजी से फैल रहे नए वैरिएंट omicron पर काफी असरदार रहा। कंपनी के द्वारा किए गए ट्रायल द्वारा पब्लिक किया गया यह पहला डेटा है।एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर बनाई गई थी,जिसे भारत में कोविशील्ड नाम दिया गया है और इसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) तयार कर रही है, जिसके CEO अदार पूनावाला है।
दिसंबर माह में एक ब्रिटिश परीक्षण में कहा गया है कि एस्ट्राजेनेका के डोज या फाइजर के शॉट के पहले डोज के बूस्टर डोज में दिए जाने के बाद एंटीबॉडी में वृद्धि देखी गई है, जो एमआरएनए तकनीक पर आधारित है। (एमआरएनए जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए मैसेंजर आरएनए की एक प्रति का उपयोग करता है।)