पूरे विश्व में भारत एक ऐसा देश है, जहां जानवरों के साथ बेहद अच्छा सलूक किया जाता है. आपको बता दें कि भारत में केवल घरेलू जानवरों के साथ ही नहीं, बल्कि सभी जानवरों के साथ प्यार किया जाता है. जब जानवरों की बात आती है, तो ऐसे में कुत्ते का नाम जरूर आता है. भारत में सबसे ज्यादा अगर किसी जानवर को प्यार दिया जाता है, तो वह जानवर कुत्ता है. कुत्ता घर की रखवाली के साथ-साथ अपने मालिक की भी रखवाली करता है. ऐसे ही आज हम आपको एक दादी के बारे में बताएंगे, जिनकी उम्र वैसे तो 90 साल हो चुकी है, लेकिन वह इस उम्र में भी रोजाना 120 कुत्तों को खाना बना कर खिलाती हैं.
आज हम आपको जिस दादी के बारे में बताने वाले हैं, उस दादी का नाम कनक सक्सेना है. वह हमारे देश भारत के राज्य उत्तर प्रदेश का शहर गाजियाबाद की रहने वाली हैं. उनकी उम्र 90 साल हो चुकी है और उन्हें कई प्रकार की बीमारियां भी है. लेकिन इतनी कठिनाइयों के बावजूद वह रोजाना 120 कुत्तों का खाना बनाकर उन्हें खिलाती हैं. हालांकि उन्हें शुरू से कुत्ते पसंद नहीं थे. उनके जीवन में कुछ ऐसी घटना घटी जिसके बाद से वह कुत्तों से प्यार करने लगी.
मीडिया से बात करते हुए कनक सक्सेना कहती हैं कि, “मुझे पहले कुत्तों से लगाव नहीं था. लेकिन सना जब एक कुत्ते को घर ले आई, तो मुझे धीरे-धीरे उससे लगाव होने लगा. मेरा दिन उसे खिलाने, उसके साथ खेलने और बस उसे प्यार करने में बीतने लगा. कुत्तों के प्रति मेरा नज़रिया पूरी तरह बदल गया. इसलिए जब सना ने गली के कुत्तों की देखभाल करना शुरू किया, तो मैं उसकी मदद करना चाहती थी. चूंकि मैं शारीरिक रूप से जाकर उन्हें खाना नहीं खिला सकती, इसलिए मैं उनके लिए खाना बनाकर संतुष्ट महसूस करती हूं”
अपनी बातों को जारी रखते हुए कनक सक्सेना आगे कहते हैं कि, “हमारे घर के पास भोलू नाम का एक कुत्ता था. हम उसे कभी-कभार खाना खिलाते थे। उसकी मृत्यु ने मुझे बहुत प्रभावित किया. मुझे लगा कि बीमार स्ट्रीट डॉग्स को कैसे पहचानना है, इसके बारे में मुझे थोड़ा पता होता, तो मैं उसकी मदद कर पाती. उसी समय पहला लॉकडाउन लगा था. मेरे पिताजी और मैंने सोचा कि ये कुत्ते कैसे खाएंगे. चूंकि हम जानते थे कि लोग बाहर नहीं निकल सकते, इसलिए हमने जानवरों की मदद करने का फैसला किया”.
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