European Union के वैज्ञानिकों का कहना है कि साल 2021 अब तक का 5वां सबसे ज्यादा गर्म साल रहा 0.44 डिग्री सेल्सियस तापमान अधिक दर्ज किया गया है।
शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान मौसम विभाग ने बताया कि ”1901 से लेकर 2021 के बीच 2016, 2009, 2017 और 2010 के बाद 2021 पांचवां सबसे गर्म वर्ष था। 2016 में तापमान सामान्य से 0.710 डिग्री सेल्सियस अधिक, 2009 और 2017 में औसत तापमान क्रमश: 0.550 डिग्री सेल्सियस और 0.541 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा था। 2010 में तापमान सामान्य से 0.539 डिग्री सेल्सियस अधिक था रहा।
और अगर मौसम की बात करे तो मौसमी दुर्घटनाओं की वजह से 1700 से अधिक लोगो ने अपने प्राण गंवाए है।
मौसम विभाग के आंकड़े बताते है कि 2021 में भारत में आंधी-तूफान और बिजली गिरने से लगभग 800 लोगों की मौत,जबकि भारी बारिश और बाढ़ से 760 के आस पास लोगों की जान गई। चक्रवाती तूफान के कारण 172 लोगों की मौत और मौसम से ही संबंधित और भी कई घटनाओं के कारण 32 अन्य लोगों की जान जा चुके है।
इसका मतलब यह है, ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए अब कुछ न जरूर करना होगा क्यों की यह बात बहुत चिंताजनक है वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसे की मात्रा बढ़ने लगी है।
एक रिपोर्ट में बताती है कि सबसे नुकादायक ग्रीन हाउस गैसों में मीथेन नंबर वन पर है,जिसका स्तर पिछले दो सालों बहुत तेजी से और बढ़ रहा है ।लेकिन इसके असर को पूरी तरह से नहीं समझा जा सका क्योंकि इसका उत्सर्जन बहुत ही व्यापक रूप से हो रहा हैं, जिनके स्त्रोतों में तेल और गैस के साथ साथ कृषि और वेललैंड जैसे प्राकृतिक स्रोत भी शामिल हैं।
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आपको बता दे कि साल 2020 जब कोविड-19 महामारी आई थी,जिसकी वजह से वैश्विक स्तर पर Co2 ke लेवल में कुछ हद तक गिरावट दर्ज की हुई थी, लेकिन 2021 में यह उत्सर्जन फिर से 4.9 प्रतिशत बढ़ गया। पिछली गर्मियों की बात करे तो यूरोप भी सबसे गर्म रहा जिस वजह से फ्रांस और हंगरी जैसे देशों में फलों की फसलें बर्बाद हो गई। जुलाई अगस्त में भूमध्य सागर से आने वाली ग्रीष्मलहर ने तुर्की और ग्रीस के साथ कई और देशों में जंगलों को आग में समर्पित कर दिया।
साल 2015 का पेरिस समझौता जिसके तहत दुनिया के सभी देशों ने ये लक्ष्य रखा था कि तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक ही सीमित रखा जाए,जिससे ग्लोबल वार्मिंग को कम किया जा सकेगा। लेकिन इसके लिए दुनिया के सभी देशों को २०३० तक अपने अपने देशों के कार्बन उत्सर्जन को मिलकर काम करने के प्रयास करने होगे।