परिस्थितियां कितनी भी प्रबल हो लेकिन हमें उनके सामने हथियार नहीं डालने चाहिए. परिस्थितियों से लड़ना ही सफलता का सबसे बड़ा हथियार माना जाता है और 1 दिन आता है. जब हम परिस्थितियों से लड़कर सफलता की बुलंदियों को छू लेते हैं. इस आर्टिकल में एक लड़के के बारे में हम आपको बताएंगे. जिसका बचपन आर्थिक परिस्थितियों के बीच बीता. यहां तक कि उनके पिता शराब पीकर घर में गाली गलौज किया करते थे और उनकी मां घर-घर जाकर काम करती थीं. जिसके दम पर इसने शुरुआती शिक्षा हासिल की और वर्तमान समय में यही लड़का हमारे और आपके बीच एक आईएएस ऑफिसर के तौर पर काम कर रहा है. जी हां हम आईएएस अधिकारी अंसार शेख की कहानी से आपको रूबरू करा रहे हैं.
परिस्थितियों से लड़कर हासिल की सफलता
अंसार शेख ने बचपन से ही परिस्थितियों से लड़ना सीख लिया था. इनके एक घर का माहौल ऐसा था कि इन्हें सिर्फ अपने दम पर ही कुछ ना कुछ मकाम हासिल करना था. इन्हें पारिवारिक सपोर्ट थोड़ा बहुत मिल रहा था, लेकिन इसके अलावा कई सारी चीजें इनके पास नहीं थी. मराठवाड़ा के गांव में जन्मे अंसार शेख के पिता ऑटो रिक्शा चलाते थे और थोड़ी बहुत कमाई करते थे जिसको वह शराब में उड़ा देते थे. हालांकि इनकी मां ने पढ़ाने के लिए काफी संघर्ष करती थी. अंसार शेख कहते हैं उस गांव का माहौल ही ऐसा था. जहां के सारे लोग शराब के नशे में धुत रहते थे. हमने जैसे तैसे करके घर की स्थिति को सुधारने का काम किया और पिता को शराब की लत से दूर किया.
पढ़ाई छोड़ने के लिए डाला गया दबाव
अंसार शेख बचपन के दिनों को याद करते हुए कहते हैं जब वह चौथी कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे. उस समय उनके रिश्तेदारों ने उनके घरवालों पर पढ़ाई छुड़वाने के लिए प्रेशर डाला था और कहा कि इसको क्यों पढ़ा रहे हो. कोई काम वगैरह इसको सिखा दो. अंसार ने कहा रिश्तेदारों के कहने पर मेरे घर वाले भी पढ़ाई छुड़वाने के लिए राजी हो गए थे, लेकिन जैसे तैसे करके मैंने घरवालों को मनाया और मेरी शिक्षकों ने भी अहम रोल निभाया. उन्होंने कहा कि बच्चा बहुत मेधावी है और आपकी सभी परिस्थितियों को बदल सकता है. इसके बाद बमुश्किल उन्होंने मुझे आगे पढ़ना जारी रखा. अंसार कहते हैं उस समय मेरी भूख मिड डे मील के खाने से मिटती थी. इसके अलावा खाने के कोई संसाधन नहीं होते थे.
अंग्रेजी बनी आगे चलकर परेशानी
अंसार शेख ने 10वीं और 12 वीं की परीक्षा मराठी बोर्ड से की. शुरुआती शिक्षा भी मराठी लैंग्वेज में ही हुई थी जिसके बाद इनकी हिंदी और अंग्रेजी पर पकड़ काफी कम मजबूत थी. इन्होंने 12 वीं की परीक्षा में 91% अंक हासिल किए थे और उस समय उनके घर वालों को भी भरोसा हो गया कि वह अपने लड़के को पढ़ा रहे हैं. जिसका उन्हें आगे चलकर फल भी मिल जाएगा. इन्होंने 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज में एडमिशन लिया था. इस दौरान इन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा लेकिन जैसे तैसे इनकी यहां से ग्रेजुएशन समाप्त हुई.
पहले प्रयास में बने सबसे कम उम्र के आईएएस
अंसार शेख बताते हैं जब उन्होंने 12 वीं की परीक्षा दी और उस समय इनका एडमिशन फर्ग्युसन कॉलेज में हो गया. उसी समय इन्हें यूपीएससी की परीक्षा के बारे में पता चला था और ग्रेजुएशन के साथ-साथ उन्होंने प्रिपरेशन करना शुरू कर दिया था. वहीं 21 वर्ष की उम्र में उन्होंने पहले ही प्रयास में इस परीक्षा को पास करके दिखा दिया कि प्रबल विचारों और कड़ी मेहनत के दम पर इस दुनिया में कुछ भी करना संभव है. अंसार शेख देश के युवा आईएएस अधिकारियों की लिस्ट में शामिल किए जाते हैं और यह तमाम लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं.
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