7 अगस्त 2020 का दिन कई भारतीय परिवारों के लिए दुखदाई रहा था. इस दिन एयर इंडिया का एक विमान बुरी तरह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस विमान में कुल जमा 184 यात्री सवार थे और इनमें से 21 यात्रियों की मौत तुरंत मौके पर ही हो गई थी. वहीं कुछ लोगों की इलाज के बाद भी जान चली गई थी. इस हादसे में कई परिवारों को तगड़ा झटका लगा था. उस दौरान देश कोरोनावायरस की महामारी का भी प्रकोप झेल रहा था. और उस दौरान बारिश का मौसम होने की वजह से यह प्लेन दुर्घटनाग्रस्त हो गया, लेकिन वहां मौजूद स्थानीय लोगों ने प्लेन में सवार यात्रियों की मदद की थी. स्थानीय लोगों की मदद से इस घटना में 169 यात्रियों की सुरक्षित जान बचाई गई थी.
इसके बाद इन यात्रियों को मुआवजा देने की बात की गई थी. हालांकि, इन लोगों ने दरियादिली दिखाते हुए एक ऐसा फैसला किया. जो हमेशा के लिए यादगार बन गया दरअसल, इन लोगों ने मुआवजे के पैसे को खुद नहीं लिया. बल्कि उन्होंने कहा कि इस पैसे से अस्पताल बनवा दिया जाए. जिन लोगों ने हमारी मदद की. वह लोग इस अस्पताल की मदद लेकर थोड़ा बहुत फायदा उठा पाएंगे. जब यात्रियों ने मुआवजा लेने से मना किया था. उस समय गांव वालों के लिए यह एक बहुत बड़ी रात की खबर थी. बता दें, यात्रियों के रिक्वेस्ट पर उस समय घटना स्थल से 300 मीटर की दूरी पर हॉस्पिटल बढ़ाने की बातचीत की गई थी और वर्तमान समय में इस प्रोजेक्ट पर काम भी चल रहा है.
जानकारी के मुताबिक, सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के लिए बजट में आवंटित किया जा चुका है. वहीं जो पैसा यात्रियों को मिलना था. उस पैसे से अस्पताल बनना स्थानीय लोगों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है. गौरतलब, है 2020 में एयर इंडिया का IX 2244 विमान बुरी तरह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इसमें 169 यात्रियों को बचा लिया गया था. वहीं दो पायलट समेत 21 लोगों की मौत हो गई थी. एयर इंडिया एक्सप्रेस के हवाले से इन लोगों को मुआवजा देने की बात की गई थी, लेकिन लोगों ने मुआवजा न लेने की वजह हॉस्पिटल बनाने का प्रस्ताव रखा गया था.
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