बिहार की शिक्षा व्यवस्था की हालत किसी से छिपी नहीं है. बिहार कई चीजों में बाकी राज्यों से पिछड़ा हुआ है लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में देखें तो बिहार की स्थिति और भी बेहद खराब हो जाती है. वैसे तो अक्सर बिहार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खुलती रहती है और सामने शिक्षा व्यवस्था के हालत सामने आते रहते है. अब हाल ही में इस उदाहरण को ही ले लीजिए. जहां बीपीएससी हेडमास्टर परीक्षा में महज 3 फ़ीसदी शिक्षक ही पास हुए हैं. जबकि 97 फ़ीसदी शिक्षक इस परीक्षा में फेल हुए हैं मतलब कि 97 फ़ीसदी शिक्षक हेड मास्टर बनने लायक ही नहीं है. अब सवाल आता है कि जो टीचर इस परीक्षा में पास नहीं हुए हैं. वह आपके बच्चों का भविष्य अपने हाथों में लिए हुए हैं.
हेड मास्टर परीक्षा में 97 फ़ीसदी शिक्षक फैल

बता दें, 4 अगस्त 2022 की शाम बीपीएससी हेड मास्टर परीक्षा का रिजल्ट घोषित किया गया था. उससे पहले अनुमान लगाया जा रहा था. इस बार हेडमास्टर परीक्षा का रिजल्ट ठीक-ठाक आ सकता है, लेकिन जब रिजल्ट आया तो हर कोई हैरान रह गया. इस रिजल्ट में 97 फ़ीसदी शिक्षक फेल हुए. वहीं 3 फ़ीसदी शिक्षकों ने इस परीक्षा को पास किया है और हेड मास्टर बनने की काबिलियत में सफल रहे हैं. 25 केंद्रों पर आयोजित की गई हेडमास्टर परीक्षा में कुल 13,055 अभ्यर्थी शामिल हुए थे. जिनमें से ज्यादातर लोगों ने इस परीक्षा में निराशा ही हासिल की है. डेढ़ सौ अंक की इस परीक्षा में 100 नंबर जनरल स्टडीज के थे. वहीं 50 नंबर B.Ed के कोर्स से पूछे गए थे.
खाली रह गए ज्यादातर हेड मास्टर के पद

बता दें, इस परीक्षा के तहत बिहार के शिक्षा विभाग में लगभग साढे 6000 नए प्रिंसिपल शिक्षकों की भर्ती होनी थी और मौजूदा शिक्षकों की यह परीक्षा ली गई थी, लेकिन ज्यादातर शिक्षकों को इस परीक्षा में पासिंग मार्क्स तो छोड़िए आधे नंबर भी हासिल नहीं किए हैं. ऐसे में बिहार के ऐजुकेशन सिस्टम की पोल खोलता यह रिजल्ट कई सारे सवाल खोल रहा है. बता दें, फिलहाल 94 फ़ीसदी अभ्यर्थी ऐसे हैं. जो परीक्षा पास ना होने के कारण इनकी वज़ह से पद खाली रह गए हैं. इसका नतीजा है. जब तक ये परीक्षा दोबारा नहीं होती है. तब 6500 स्कूल बिना प्रिंसिपल शिक्षकों के ही चलते रहेंगे.
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