जो ज्ञान दूसरों का काम न आ सके वह ज्ञान ज्ञान नहीं होता. जी हां आज हम एक ऐसे लड़के की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी ज्ञान से कई किसान आदिवासियों की जिंदगी बदल कर रख दी. जो आदिवासी किसान पेट पालने के लिए तरसते थे वह अब खेतों में अच्छे ढंग से काम करके पैसे कमा रहे हैं. बनारस के रहने वाले विशाल सिंह ने आईआईटी से मास्टर की डिग्री लेकर सिर्फ खुद के बारे में ना सोच कर 35000 आदिवासियों का जीवन बदल दिया है. आईआईटी से मास्टर करके खुद का झोली भरने के बजाय गरीब किसानों का परिस्थिति सुधारने में लग गए.
विशाल सिंह किसान परिवारों से संबंध रखते हैं. पढ़ाई के दौरान ही विशाल सिंह अच्छी खेती की तकनीक के बारे में पढ़ें और उसे और भी अच्छे ढंग से जानने के लिए वह अक्सर पढ़ाई के दौरान खड़कपुर के आदिवासी किसानों के खेतों में जाते रहते थे. लेकिन इन आदिवासियों के हालत काफी खराब थी. आदिवासी किसान की इस हालत को देखकर विशाल को काफी अफसोस होता था. और यहीं से उन्होंने ठान लिया कि पढ़ाई पूरी करके मैं कोई नौकरी नहीं करूंगा बल्कि इन किसानों की हालत बेहतर करूंगा. लेकिन घर की परिस्थितियों ने उन्हें पढ़ाई के बाद राइस मिल में नौकरी करने पर मजबूर कर दिया.
लेकिन कुछ दिनों के बाद 2014 में उन्हें उड़ीसा के एक कॉलेज में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी मिल गई. अब यहां से विशाल हमेशा किसानों को अच्छी ट्रेनिंग देने लगे. यहां तक कि उन्हें कॉलेज की तरफ से एक प्रोजेक्ट मिला जिसमें कुछ गांवों को स्मार्ट बनाने के लिए तैयार किया गया था. विशाल का अधिकतर समय गांव में बीतने लगा. अपने ट्रेनिंग के दौरान में विशाल ने आदिवासी गांव की रूपरेखा ही बदल कर रख दी. विशाल ने गांव में तालाब खुदवाए, सोलर सिस्टम लगाए, गोबर गैस का प्लांट के साथ-साथ इंटीग्रेटेड फार्मिंग मॉडल पर आधारित काम करना शुरू कर दिया.
विशाल ने हर गरीब परिवारों से रूबरू होकर उन्हें अच्छी खेती के लिए तरीके सिखाने के साथ-साथ मार्केटिंग नॉलेज भी देने लगे. यहां से विशाल की मेहनत रंग लाई और उन्हें अपने मेहनत का फल दिखने लगा. जो किसान दो वक्त की रोटी के लिए तरसते थे अब वह अच्छी खासी कमाई करने लगे. यहीं से विशाल ने सोचा कि वह सही दिशा में काम कर रहे हैं इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ कर इन आदिवासियों के जीवन बेहतर बनाने में लग गए. अपनी मेहनत से विशाल ने 10 गांव को आत्मनिर्भर बना दिया है.
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