मिलन मिश्रा उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं. जो परिस्थितियों से हार मानकर बैठ जाते हैं. मिलन मिश्रा दिव्यांग होने के बाद भी 20 किलोमीटर चलकर गरीब बच्चों को शिक्षा देने के लिए जाते हैं. इस दौरान यह लाठी और साईकिल की मदद से वहां पहुंचते हैं. इस उम्र में मिलन मिश्रा किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं है. ये गरीब और असहाय बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं.खुद दिव्यांग होने के बाद भी साइकिल के सहारे चलकर 40 किलोमीटर का सफर तय करते हैं.
खुद ने भी उठाई पढ़ाई के दौरान मुश्किलें
मिलन मिश्रा बताते हैं. उन्होंने भी पढ़ाई लिखाई के दौरान काफी मुश्किलों का सामना किया था. उन्हें पूरे 6 किलोमीटर चलकर पैदल स्कूल जाना पड़ता था. भले ही वह दिव्यांग हैं लेकिन उन्होंने कभी भी खुद को दिव्यांग नहीं समझा? यही वजह है उन्होंने आज तक थ्री व्हीलर साइकिल का इस्तेमाल नहीं किया है. वह साइकिल की मदद से ही हर जगह जाने आने का काम करते हैं और पिछले कई वर्षों से वह इन बेसहारा बच्चों को शिक्षा देने के लिए 20 किलोमीटर का सफर तय करके आते हैं. 30 वर्ष के मिलन मिश्रा इन बच्चों को काबिल बनाने के लिए खूब मेहनत करते हैं. इनके इस जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है.
लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है मिलन मिश्रा
मिलन मिश्रा तमाम लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. यह कहते हैं उन्होंने एक ऐसे दौर में जीवन बिताया. जब पढ़ाई लिखाई के लिए उनके घरवाले फीस भी एकत्रित नहीं कर पाते थे और काफी मुश्किलों के बाद उनकी फीस भर पाती थी. बता दें, इन्होंने शुरुआती पढ़ाई अपने इलाके से ही की थी. जिसके बाद स्नातक की डिग्री ली और तभी से ही यह बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं. साथ ही यह लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने का काम करते हैं. मिलन मिश्रा की खास बात यह है जिन बच्चों को यह ट्यूशन पढ़ाते हैं. उनसे यह फीस भी नहीं मांगते लेकिन इन बच्चों के माता-पिता मिलन मिश्रा को अपनी इच्छा से जो भी फीस दे देते हैं. उसी से इनका घर का खर्च चलता है.
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