जब भी हम कहीं यात्रा करते हैं तो एक चीज रेलवे स्टेशन बस स्टेशन पर हमें कॉमन दिखाई देती है और वह है इन स्टेशनों पर भीख मांगते भिखारी. जब यह लोग हमसे कुछ पैसा मांगने की अपील करते हैं, तो हम में से ज्यादातर व्यक्ति इन्हें 10- 5 रुपए दे भी देते हैं. अगर हम आपसे पूछे कि आप भिखारी को क्या-क्या दे सकते हैं. तो आपका साधारण का उत्तर होगा. कि कुछ खाने के लिए या बहुत पुराना कपड़ा लेकिन आज के इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसे इंसान से रूबरू कराने वाले हैं. जो भिखारियों को भीख नहीं देता है, बल्कि बिजनेस सिखाता है और उसने कई भिखारी बच्चों को ऑन्त्रप्रेन्योर बना दिया है.
मिलिए भिखारियों को ऑन्त्रप्रेन्योर बनाने वाले शख्स से
जिस शख्स के बारे में हम आपसे बात कर रहे हैं. उनका नाम चंद्र मिश्रा है. जो सेकडों भिखारियों की मदद कर रहे हैं और समाज सेवा के जरिए समाज में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे रहे हैं और इसी कोशिश के बलबूते यह कई भिखारी बच्चों को ऑन्त्रप्रेन्योर और बिजनेस की राह दिखा चुके हैं. जो बच्चे आज अच्छा खासा बिजनेस जनरेट कर रहे हैं. चंद्र मिश्रा बताते हैं कि कोविड-19 की महामारी के दौरान सब की स्थिति खराब हो गई थी लेकिन भिखारियों का जीवन ऐसा ही था और पहले उन्हें खाने के लिए मिल जाता था लेकिन इस स्थिति में खाना पीना भी उनके लिए मुश्किल था और उन्होंने उसी वक्त सोचा कि कोविड-19 की स्थिति बदलते ही वह भिखारियों को बिजनेस में लाने का काम करेंगे. और फिर चंद्र मिश्रा इन्हीं कोशिशों के साथ निकल पड़े अपने सपने को पूरा करने.
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भिखारियों की मदद के लिए शुरू की बैगर्स कॉरपोरेशन
चंद्र मिश्रा बताते हैं कि उन्होंने साल 2021 में बैगर्स कॉरपोरेशन के नाम से एक संस्था की शुरुआत की थी और इस संस्था का मकसद भिखारी बच्चों को बिजनेस के बारे में सिखाना और पैसों का मैनेजमेंट कैसे करना है. यह सारी चीजों पर इनका ध्यान अवतरित करना है और आखिरकार इनकी बातों का असर 12 परिवार के भिखारी बच्चों पर हुआ. जिसमें 55 बच्चे शामिल थे. जिन्होंने चंद्र मिश्रा की बात को समझा और पैसे का मैनेजमेंट अपनी लाइफ में बखूबी पूरा किया और उन्होंने अब तक 1 साल में ही 55 बच्चे ऑन्त्रप्रेन्योर बना दिए हैं. चंद्र मिश्रा कहते हैं कि उनको हमारी फाउंडेशन ने हर चीज का मैनेजमेंट के बारे में सिखाया. इन्हें सिखाया गया कि कैसे उन्हें पैसे का मैनेजमेंट करना है और जरूरी चीजों में पैसे इन्वेस्ट करना है.
शिक्षा पर भी दिया है पूरा जोर
चंद्र मिश्रा इनको पैसे के मैनेजमेंट के बारे में तो तरकीबें बताते ही हैं. इसके साथ ही यह शिक्षा के महत्व को भी जानते हैं और यह चाहते हैं कि इन बच्चों की आने वाली पीढ़ी यह काम न करें, इसके लिए उन्होंने एक स्कूल का भी की भी स्थापना की है. जिसमें इन बच्चों को शिक्षा के महत्व के बारे में बताया जाता है. उन्होंने कहा जो बच्चे भिखारी से ऑन्त्रप्रेन्योर बने हैं. वह अब जूट और कागज से डेकोरेशन के आइटम बना रहे हैं. घर की खूबसूरती बढ़ाने के लिए चीजें बना रहे हैं. कुछ लोग दुकानों और मार्किट में भी इन सामानों की सेलिंग कर रहे हैं. ज्यादातर बच्चे अच्छा खासा बिजनेस जनरेट कर रहे हैं. चंद्र मिश्रा की इस कोशिश का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं. अभी तक इनकी फाउंडेशन के तहत 300 लोगों ने अपने कामकाज खोल लिए हैं. और 105 लोगों को रोजगार मिल चुका है. वाकई चंद्र मिश्रा ने 1 साल पहले जो कोशिश की थी. वह अब धरातल पर भी परिवर्तन लाती दिख रही है. चंद्र मिश्रा के लिए एक सल्युट तो बनता ही है.
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