असफलता एक चुनौती है इसे स्वीकार करो, क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो.शुभम गुप्ता की सफलता की कहानी कुछ इन्हीं पंक्तियों से मेल खाती है. क्योंकि शुभम गुप्ता भी अपने जीवन में सफलता के रास्ते पर चलते हुए कई असफल चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. लेकिन इन्होंने इन असफलताओं को नजरअंदाज करते हुए बल्कि इसे ही अपनी चुनौती समझते हुए स्वीकार किया, और अपनी गलतियों को सुधार कर कड़ी मेहनत करते रहे. आइए जानते हैं शुभम गुप्ता के बारे में जो एक आम आदमी से खास आदमी बनने तक का सफर कैसे तय किया.
शुभम गुप्ता राजस्थान के जयपुर में रहते हैं. मिडिल क्लास फैमिली से संबंध रखने वाले शुभम गुप्ता की सफलता की कहानी काफी दिलचस्प है. इन्हें यूं ही रातों-रात सफलता नहीं मिली बल्कि इसके लिए शुभम गुप्ता को कई तरह का संघर्ष करना पड़ा. शुभम के पिता का जयपुर में ही जूतों की दुकान थी. इसी दुकान से परिवार वालों का भरण पोषण होता था. तथा पिता अपने इसी कारोबार से अपने औलादों को एक दृढ़ शिक्षा प्रदान कर रहे थे. लेकिन जयपुर में इस दुकान से इतनी आमदनी न होने के कारण पिता ने बाद में मुंबई में इसी चीज का एक दुकान कर लिया.
शुभम का एक भाई आईआईटी की तैयारी करने की वजह से हमेशा बाहर रहना पड़ता था. इसलिए शुभम को अपने पिता की दुकान पर भी बैठना पड़ता था. दसवीं क्लास के बाद शुभम को लोग विज्ञान के क्षेत्र में पढ़ाई करने की प्रेरणा देते थे. लेकिन शुभम को कॉमर्स स्ट्रीम काफी पसंद था इसलिए उन्होंने इसी सब्जेक्ट को चुना. हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में सफल होने के बाद शुभम ने महाराष्ट्र से दिल्ली आकर श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दाखिला लिया. लेकिन यहां असफल रहे.
पिता शुभम से हमेशा कलेक्टर बनने की सलाह देते थे. पिता के इसी बात को अपना मकसद समझकर शुभम ने ग्रेजुएशन के बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. इन्होंने लगातार चार बार यूपीएससी की परीक्षा दी, 2015, 2016, 2017 और 2018 में. 2015 में प्री का एग्जाम भी पास नहीं कर सके. दूसरी बार फिर कोशिश की इस बार प्री ,मेंस और इंटरव्यू सभी में कामयाब होकर 366वीं रैंक हासिल की. जिसके बाद इन्हें भारतीय ऑडिट एंड अकाउंट विभाग में जॉइनिंग हुई. सेवा देते हुए वह अपनी तैयारी जारी रखी और दोबारा 2017 में यूपीएससी के एग्जाम में बैठे लेकिन असफल रहे. चौथी बार 2018 में इन्हें यूपीएससी में अच्छा रैंक आया. 6वीं रैंक लाकर शुभम ने अपने पिता के लिए आईएस बनने का सपना पूरा किया.
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