भारत एक कृषि प्रधान देश है और ऐसा एक बार नहीं बल्कि कई बार देखा जा चुका है कि, भारत में आधुनिक कृषि की वजह से किसान भाइयों को काफी फायदा पहुंचा है.श्रआपको बता दें कि भारत में दो तरह के किसान होते हैं, एक जो खानदानी किसान होते हैं. तो वहीं दूसरा किसान वह होता है जो पढ़ाई पूरी करने के बाद किसान बनता है. जो किसान पढ़ाई पूरी करने के बाद किसान बनता है, वह आधुनिक कृषि को बढ़ावा देता है. लेकिन इन सबके अलावा एक किसान ऐसा भी होता है, जो दूसरे क्षेत्र की नौकरी छोड़ने के बाद किसान बनता है.
आज हम आपको ऐसे ही एक किसान के बारे में बताने वाले हैं, जिन्होंने एमबीए की पढ़ाई करने के बाद अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी. नौकरी छोड़ने के पीछे का सबसे बड़ा कारण लिया था कि, वह खेती करना चाहते थे. आज हम आपको जिस व्यक्ति के बारे में बताने वाले हैं, उस व्यक्ति का नाम राजीव भास्कर है. राजीव हमारे देश भारत के राज्य उत्तराखंड के रहने वाले हैं और उन्होंने एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन किया है.
एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने एमबीए की पढ़ाई पूरी की. एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह एक अच्छी कंपनी में नौकरी कर रहे थे. लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़कर थाईलैंड की अमरूद उगाने के बारे में सोचा. आपको बता दें कि थाई अमरूद भारतीय मूल रूप से थोड़ा अलग होता है एवं मीठा भी होता है.
मीडिया से बात करते हुए राजीव कहते हैं कि, “मैंने खेती की शुरुआत साल 2017 में हरियाणा के पंचकुला से की थी. मैंने 5 एकड़ की जगह लीज़ पर ली थी, जहां अमरूद उगाकर मैंने काफी अच्छा मुनाफा कमाया. उसके बाद, मैंने 2019 में 4 और पार्टनर्स के साथ मिलकर पंजाब के रुपनगर ज़िले में एग्रोया हार्वेस्ट प्रा. लि. की शुरुआत की. इस फल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि, 25 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखने पर भी इनकी शेल्फ लाइफ 12 दिनों की होती है”
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