आज के जमाने में कार हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है. आज अलग-अलग प्रकार की कई तरह की गाड़ियां देखने को मिलती है. यही नहीं बल्कि आज के कार में कई तरह की सुख सुविधाएं भी उपलब्ध हो गई हैं. लेकिन पुराने जमाने में कार जैसी कोई चीज नहीं हुआ करते थे. लोग बैलगाड़ी या फिर घोड़े की मदद से ही सफर किया करते थे. आज हम आपको भारत में कार के इतिहास के बारे में बताएंगे. साथ ही यह भी बताएंगे कि ऐसी कौन सी पहली कार थी, जो भारत में बिकी थी और उस कार को खरीदने वाले कौन थे.
यह बात हम सब जानते हैं कि भारत में जब अंग्रेज आए थे, तो उन्होंने पूरे देश पर कब्जा कर लिया था. तो वहीं भारत के कुछ हिस्सों को उन्होंने अपनी राजधानी बना ली थी. जिसमें कोलकाता एक प्रमुख शहर था. मालूम हो कि अंग्रेजों ने साल 1911 तक कोलकाता पर राज किया था. उनके कई तरह के बिजनेस कोलकाता से होते थे. मालूम हो कि जब अंग्रेज कोलकाता में रहने लगे थे, तो उन्हें कार की आवश्यकता पड़ी. लेकिन उस समय हमारे भारत में कार नहीं हुआ करती थी. यह बात साल 1897 की है, जब भारत में एडवर्टाइजमेंट के जरिए एक कार की फोटो छपने लगी थी.
साल 1897 में जिस कार की फोटो छप रही थी उस कार की कंपनी का नाम डेडिऑन था. यह कंपनी फ्रांस की कंपनी थी.श्रजो अपने एक कार भारत में बेचना चाहती थी. मालूम हो कि इस कंपनी के कार का एडवर्टाइजमेंट जब भारत में होने लगा तो, एक व्यक्ति ने इस कार को खरीदने की दिलचस्पी दिखाई. मालूम हो कि साल 1897 में ही मिस्टर फॉरेस्टर ने इस कार को खरीदा था. लेकिन अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि यह खबर सही है या नहीं. लेकिन यही माना जाता है कि भारत में पहली बार सरकार को खरीदने वाले व्यक्ति मिस्टर फॉरेस्टर थे.
आपको बताते चलें कि कोलकाता के बाद भारत में पहली बार कार मद्रास एवं मुंबई शहर में बिकी है. मालूम हो कि सबसे पहले भारतीय जिन्होंने इस कार को खरीदा था, वह पारसी समुदाय के लोग थे. जिनमें से एक नाम जमशेदजी टाटा का भी शामिल है.
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