शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा माना जाता है कि, अंग्रेजी माध्यम से पढ़ने वाले छात्र होनहार होते हैं. तो वही हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले छात्र अंग्रेजी माध्यम से पढ़ने वाले छात्रों के मुकाबले कम होनहार होते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी छात्रा के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपनी पूरी पढ़ाई हिंदी माध्यम से की. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने भारत के सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी में सफलता हासिल किया. उन्होंने न केवल भारत के सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी में सफलता हासिल की, बल्कि पहले प्रयास में ही आईएएस अधिकारी बन गई.
आज हम आपको जिस छात्रा की कामयाबी के बारे में बताने वाले हैं, उस छात्रा का नाम गरिमा है. गरिमा भारत के राज्य मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव की रहने वाली है. उन्होंने अपनी पूरी पढ़ाई अपने गांव में पूरा किया. वह शुरू से ही एक हिंदी माध्यम की छात्रा रही है. जब वह हिंदी माध्यम से अपने बोर्ड की परीक्षा में पास की, तब उन्हें ऐसा लगता था कि, हिंदी माध्यम होने की वजह से वह अपने जीवन में कामयाबी हासिल नहीं कर सकती.
गरिमा की बड़ी बहन प्रीति ने साल 2013 में यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा में सफलता हासिल कर ली थी. जिसके बाद उन्होंने अपनी छोटी बहन गरिमा का हौसला बढ़ाया उन्होंने गरिमा को बताया कि, हिंदी माध्यम या फिर अंग्रेजी माध्यम कुछ नहीं होता, बल्कि कोई भी छात्र किसी भी माध्यम से पढ़ कर सफलता हासिल कर लेता है . बड़ी बहन के हौसला बढ़ाने के बाद गरिमा यूपीएससी की तैयारी करने लगी. वह शुरू से ही एक आईएएस अधिकारी बनना चाहती थी.
आपको बताते चलें कि हिंदी में ध्यान से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भी गरिमा ने भारत के सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी में सफलता हासिल कर लिया. उन्होंने पहले प्रयास में यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा पास करके आईएएस अधिकारी का पद हासिल किया.
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