सैनिक का जीवन आम व्यक्ति के जीवन के मुकाबले काफी कठिन होता है. ऐसा कई बार देखा भी जा चुका है कि सैनिकों ने कई बार अपनी जान पर खेलकर हमारे देश की रक्षा की है. मालूम हो कि साल 1999 में कारगिल का युद्ध हुआ था. कारगिल के युद्ध में कई सैनिकों ने अपनी जान गवाई थी. तो वहीं कई सैनिक अपाहिज भी हो गए थे. मालूम हो कि साल 1999 का कारगिल युद्ध काफी दर्दनाक था. इसी युद्ध में राजस्थान के रहने वाले एक सैनिक ने अपने पैर गंवा दिए थे. जिसके बाद उनका जीवन काफी कठिन हो गया था. यही नहीं बल्कि उनके परिवार वालों की जीवन भी मुश्किल में आ गई थी.
आपको बता दें कि साल 1999 के कारगिल युद्ध में जिस पिता ने अपने पैर गवाए थे. उसी पिता के बेटे ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करके ना केवल अपने पिता बल्कि अपने शहर का भी नाम रोशन किया. हम जिस छात्र के बारे में बात कर रहे हैं उससे छात्र का नाम प्रीतम जाखड़ है. प्रीतम जाखड़ भारत के राज्य राजस्थान के सीकर शहर से ताल्लुक रखते हैं. प्रीतम ने यूपीएससी की परीक्षा में 9वी रैंक लाकर आईएएस अधिकारी बन गए हैं. लेकिन यहां तक का सफर पूरा करना उनके लिए आसान नहीं था.
प्रीतम के पिता के बारे में बात करें तो उनके पिता ने साल 1999 के कारगिल युद्ध में अपने पैर गवा दिए थे. जिसके बाद उनका जीवन एवं उनके परिवार वालों का जीवन काफी मुश्किल हो गया था. लेकिन ऐसे मुश्किल परिस्थितियों का सामना करके प्रीतम ने कभी हिम्मत नहीं हारी. मालूम हो कि इससे पहले दो बार प्रीतम ने यूपीएससी की परीक्षा दी थी, लेकिन दोनों बार वह असफल रहे थे. पिछले दोनों प्रयासों में प्रीतम इंटरव्यू राउंड तक पहुंच गए थे, लेकिन कम नंबर होने की वजह से उन्हें यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल नहीं हुई.
दो बार यूपीएससी की परीक्षा में असफल रहने के बाद प्रीतम ने यह ठान लिया था कि, अब वह प्राइवेट नौकरी करेंगे. लेकिन उनके मन में कुछ और ही था. उन्होंने एक बार फिर से यूपीएससी की परीक्षा देने का फैसला किया और उन्होंने अपने मन में सोच लिया कि ये उनका आखिरी प्रयास होगा. अपने आखिरी प्रयास में प्रीतम ने ना केवल यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा को पास किया, बल्कि इस परीक्षा में अच्छी खासी रैंक लाकर आईएएस अधिकारी भी बन गए.
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