यह तुम से नहीं हो पाएगा, पढ़ाई लिखाई तुम्हारे बस की नहीं, तुम्हारे कोशिशें बेकार जाएगी. कभी-कभी हम अपने आस-पड़ोस की इन बातों को सुनकर यह समझने लगते हैं की लोग सही कह रहे हैं और इन सभी की बातों में आकर हम ऊंचे ऊंचे ख्वाब देखना छोड़ देते हैं. लेकिन हमें इन सभी बातों को दरकिनार कर अपने लक्ष्य के बारे में सोचना चाहिए. आज हम उस इंसान की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्हें लोगों ने कई तरह के ताने दिए तथा इस तरह के जुमले का इस्तेमाल किए जिससे कोई एक आम इंसान हतोत्साहित हो सकता है. यहां तक के इस लड़के को उसके खुद के स्कूल वाले यह कहकर एडमिट कार्ड नहीं दिया की यह हमारे स्कूल को बदनाम कर देगा.
नितिन शाक्य जो आज एक आईएएस अधिकारी हैं. मैट्रिक में कम अंक लाना इनके लिए एक मुसीबत बन गई थी. इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए नितिन को स्कूल के शिक्षकों ने इन्हें एडमिट कार्ड देने से साफ इंकार कर दिया था. स्कूल वालों ने यह कहकर नितिन को एडमिट कार्ड देने से इंकार कर दिया कि यह एक बार फिर से फेल होकर हमारे स्कूल का नाम बदनाम करेगा. काफी कोशिशों के बाद परिवार वालों के अनुरोध से नितिन को परीक्षा में बैठने के लिए प्रवेश पत्र दिया गया.
इस घटना ने नितिन को झकझोर कर रख दिया. विद्यालय द्वारा बोली गई हर बात को दिल पर लेते हुए यह ठान लिया कि मुझे कुछ बड़ा करना होगा. बस फिर क्या था नितिन मेहनत और लगन से अपनी पढ़ाई शुरू कर दी और आगे चलकर अपने परिवार वालों का नाम रोशन किया. नितिन ने पहले तो डॉक्टर बने उसके बाद आईएएस अधिकारी. अब नितिन लोगों को हमेशा यही प्रेरणा देते हैं कि अगर किसी भी काम को शिद्दत, मेहनत और लगन से किया जाए तो वह मेहनत बेकार नहीं जाती.
किसी तरह से नीति ने मैट्रिक और इंटर मीडियट की पढ़ाई पूरी करने के बाद सीपीएमटी की परीक्षा पास कर लिए. मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में एडमिशन ले कर एमबीबीएस और एनेस्थेसिया में पोस्ट ग्रेजुएशन कि डिग्री ली. पढ़ाई के दौरान नितिन ने upsc की तैयारियां शुरू कर दी थी. इन्होंने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की प्री और मेंस की परीक्षा पास कर इंटरव्यू में बैठे. लेकिन 10 नंबरों से मेरिट लिस्ट में पीछे रह गए. इसी तरह से लगातार तीन प्रयासों के बाद चौथी बार यूपीएससी में सफलता मिली. इस सफलता के बाद नितिन आईएएस अधिकारी बन गए.
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