भारत की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी में सफलता हासिल करने वाले छात्रों का जीवन काफी संघर्ष भरा रहता है. ऐसा एक बार नहीं बल्कि कई बार देखा जा चुका है कि, जिन छात्रों ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की है, उनका पहले का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है. लेकिन इसके बावजूद यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले छात्र कड़ी मेहनत करके अपने जीवन में एक अलग मुकाम हासिल करते हैं. ऐसे ही आज हम आपको एक आईएएस ऑफिसर के बारे में बताने वाले हैं, जिनका शुरुआती जिंदगी बेहद गरीबी में गुजरा. यही नहीं बल्कि गरीबी के साथ-साथ उन्हें हर मोड़ पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा.
आज हम आपको जिस आईएएस ऑफिसर के बारे में बताने वाले हैं, उनका नाम रमेश घोलप है. रमेश भारत के राज्य महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई अपने गांव से पूरी की. लेकिन आगे की पढ़ाई करने के लिए वह शहर आ गए. आपको बता दें कि रमेश के पिता एक मामूली साइकिल रिपेयरिंग का दुकान संभालते थे. लेकिन उनके पिता शराब की लत में बर्बाद हो चुके थे. वह जितना पैसा कमाते उससे वह शराब पी जाते. जिसे देखते हुए रमेश की माँ ने चूड़ियाँ बेचने का फैसला किया.
आपको जानकर हैरानी होगी कि शुरुआती दिनों में रमेश भी अपनी माँ के साथ घर-घर जाकर चूड़ियां बेचा करते थे. यही नहीं बल्कि जब वह केवल 2 साल के थे, तब गरीबी और भुखमरी की वजह से उन्हें पोलियो हो गया था. इतना सब कुछ सहने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी पढ़ाई जारी रखा. आपको बता दें कि जब रमेश यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे, तब उनके पिता की मृत्यु हो गई. जिसके बाद वह अपने गांव जाना चाहते थे, लेकिन उनके पास गांव जाने का भी किराया नहीं था. उस समय विकलांग का किराया केवल ₹2 थे, लेकिन रमेश के पास ₹2 भी नहीं था.
आपको बताते चलें कि अपने जीवन में चुनौतियों का सामना करते हुए रमेश अपनी पढ़ाई जारी रखा और साल 2011 में उन्होंने यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा में सफलता हासिल कर ली. आपको बता दें कि इस परीक्षा में उन्होंने 287 रैंक लाकर ना केवल अपना बल्कि अपने परिवार का नाम रोशन किया.
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