सिविल सर्विस की परीक्षा भारत की एक ऐसी परीक्षा है, जिसे काफी कठिन माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि सिविल सर्विस की परीक्षा को पास करना किसी भी छात्र के लिए आसान नहीं है. सिविल सर्विस की परीक्षा को पास करने के बाद छात्रों को काफी अच्छा जॉब मिलता है. यही कारण है कि हर कोई सिविल सर्विस की परीक्षा को पास करना चाहते हैं. लेकिन सिविल सर्विस की परीक्षा को पास करना आसान नहीं. राज्य की सिविल सर्विस की परीक्षा भी काफी कठिन होती है. ऐसे ही आज हम आपको एक व्यक्ति के बारे में बताने वाले हैं, जिन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा को पास करके असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी ली है.
आज हम आपको जिस व्यक्ति के बारे में बताने वाले हैं, उसका नाम शंकर सिंह है. शंकर सिंह हमारे देश भारत के राज्य राजस्थान के बाड़मेर जिले से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा बाड़मेर जिले में पूरी की. वह शुरू से ही एक शिक्षक बनना चाहते थे. लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि, वह महंगे से महंगे कोचिंग संस्थानों में अपना दाखिला करा कर अपने सपने को पूरा कर सके. शंकर सिंह के पिता एक किसान है और वह अपने गांव में ही खेती करके अपने परिवार वालों का पेट पालते हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि बिना किसी कोचिंग संस्थान की मदद से शंकर सिंह ने राजस्थान के सिविल सर्विस परीक्षा में सफलता हासिल की है. यही नहीं बल्कि उन्होंने राजस्थान में हुए असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा में नंबर वन रैंक लाकर इतिहास रच दिया है. जैसे ही शंकर का असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा में नंबर वन रैंक आता है, तो यह बात पूरे गांव में फैल जाती है. जिसके बाद दूर-दूर से लोग शंकर सिंह को बधाई देने पहुंचते हैं.
आपको बताते चलें कि शंकर सिंह के असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी पाने के बाद उनके पिता बेहद खुश हैं. ना केवल पिता बल्कि उनके पूरे परिवार वालों के बीच खुशी की लहर देखने को मिल रही है. लोगों का ऐसा मानना है कि उन्होंने कड़ी मेहनत करके अपने जीवन में यह मुकाम हासिल किया है. यह न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे गांव वालों के लिए गर्व की बात है.
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