झारखंड हमारे देश भारत का एक ऐसा राज्य है, जो अपने खनिज पदार्थों के लिए जाना जाता है. झारखंड का शहर धनबाद अपने कोयले की खान के लिए पूरे भारत में मशहूर है. यह बात हम सब जानते हैं कि धनबाद में कोयले के कई खान मौजूद है. वैसे तो कोयले की खान होने की वजह से धनबाद एक अमीर शहर के रूप में देखा जाता है. लेकिन कोयले की खान की वजह से वहां रहने वाले कई किसानों को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे ही आज हम आपको एक ऐसे किसान के बारे में बताएंगे, जिन्हें कोयले की खान की वजह से लगातार 15 सालों तक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.
आज हम आपको धनबाद के जिस किसान के बारे में बात करने वाले हैं, उस किसान का नाम उमा महतो है. उमा पेशे से एक किसान है, लेकिन उन्होंने लगातार 15 सालों तक खेती नहीं की. खेती ना करने के पीछे का सबसे बड़ा कारण यह था कि, उनके पास जो जमीन थी वह कोयले की खान के ऊपर थी, जिस वजह से उसे जमीन पर किसी भी प्रकार की खेती करना नामुमकिन था. लेकिन उनके पास केवल वही एक जमीन थी.
ऐसे में उन्होंने अपनी जमीन को उपजाऊ बनाने का फैसला किया. उन्होंने लगातार 15 सालों तक अपनी जमीन के ऊपर मेहनत किया. 15 सालों की लगातार मेहनत करने के बाद उमा महतो ने अपनी जमीन को उपजाऊ बना डाला. शुरुआत के लगभग चार-पांच सालों तक, उन्होंने अपनी जमीन से कोयले को निकाल कर बाहर किया.
मीडिया से बात करते हुए उमा कहते हैं कि, “दस सालों तक तो खेती से मुनाफा होने के बजाय, घर की पूंजी भी लग जाया करती थी. लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी, मैं कुछ न कुछ उगाता ही रहता था. उनको खेती करने का काफी शौक़ है। जैसे-जैसे जमीन में सुधार होने लगा, उमा फसलें बढ़ाने लगे. वह हर साल इसमें दाल, मौसमी सब्जियां, गेहूं, चावल आदि उगाते रहते हैं. इस इलाके में लोग खेती करने को समस्या समझते हैं. इसी वजह से आज 50 प्रतिशत से ज्यादा लोग खेती करना छोड़ चुके हैं. लेकिन मैं आज खेती से सालाना तीन लाख से ज्यादा का मुनाफा कमाता हूँ”.
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