भारत के राज्य राजस्थान के उदयपुर जिले के रहने वाले चौहान परिवार शुरू से अपनी गरीबी और संघर्ष की लड़ाई लड़ता आ रहा था. लेकिन यह बात किसी को पता नहीं था कि, इसी गरीब परिवार की एक बेटी आज विश्व के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन की कैप्टन बनेगी. आपको बता दें कि सियाचिन भारत का एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे काफी खतरनाक युद्ध क्षेत्र माना जाता है. यही नहीं बल्कि यह क्षेत्र पूरी तरह बर्फ से ढका हुआ है, जहाँ का तापमान जीरो डिग्री से भी नीचे होता है. इसी क्षेत्र में भारत की पहली महिला कैप्टन शिवा चौहान बनी. आज हम आपको शिवा चौहान के कामयाबी के बारे में बताएंगे.
क्या तुम शिवा चौहान की निजी जिंदगी के बारे में बात करें, तो उनकी निजी जिंदगी काफी संघर्ष भरी रही है. भारत के राज्य राजस्थान के उदयपुर की जिले की रहने वाली शिवा चौहान ने अपनी प्राथमिक पढ़ाई उदयपुर में ही पूरी की. यही नहीं बल्कि काफी कम उम्र में ही उनके पिता की मृत्यु हो गई. पिता की मृत्यु के बाद सारी जिम्मेदारी शिवा चौहान की माँ के ऊपर आ गई. जिसके बाद शिवा चौहान की मानी सिलाई मशीन से सिलाई करके अपने घर का खर्च चलाया. यही नहीं बल्कि इतनी गरीबी में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी बेटी शिवा चौहान की पढ़ाई जारी रखा.
आपको बता दें कि मां के सिलाई करने से घर का खर्च पूरा नहीं हो पाता था. जिसके बाद शिवा चौहान ने ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया. ट्यूशन पढ़ाकर वह अपना खर्चा निकाल लेती थी. शिवा चौहान की पढ़ाई के बारे में बात करें तो उन्होंने अपनी पढ़ाई इंजीनियरिंग में पूरी की है. वह एक सिविल इंजीनियर हैं. लेकिन अब हम शुरू से ही अपने देश भारत की सेवा करना चाहती थी. यही कारण है कि हमारा डिफेंस में आना चाहती थी. उन्होंने भारतीय सेना एवं नौसेना में भी काम किया है, लेकिन उनका अपना एक-एक कैप्टन बनने का था.
आपको बताते चलें कि शिवा चौहान का सपना साल 2021 में पूरा हुआ. जिसके बाद चेन्नई में उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद युवा चौहान की पहली पोस्टिंग सियाचिन में एक कैप्टन के रूप में हुई. यही नहीं बल्कि वह भारत की पहली महिला कैप्टन भी बन गई.
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