हरियाणा में जिन लोगों का सालाना आमदनी 6 लाख था। उनलोगो भी सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थाओं का लाभ मिल रहा था लेकिन अब ऐसा नहीं है प्रथम और द्वितीय श्रेणी अधिकारियों के परिवार वालों को आरक्षण नहीं दिया जा सकेगा।
पहले सेना में मेजर या इससे ऊपर के अधिकारियों और वायुसेना और नौसेना में समकक्ष स्तर के अधिकारियों के आश्रितों को आरक्षण से बाहर निकाल दिया गया है। इतना ही नहीं जिन लोगों के पास अधीक जमीन है और एक करोड़ से ज्यादा साल में अआमदनी हो रही है उन लोगों को भी आरक्षण नहीं मिलेगा ।
हरियाणा सरकार ने ऐलान किया है कि अब पानीपत की गाजर, गुरुग्राम का आंवला और सिरसा के किन्नू को नई पहचान दिया जाएगा।अनुसूचित जातियां एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रधान सचिव विनित गर्ग ने क्रीमीलेयर को लेकर नई अधिसूचना भी जारी किया है। सूत्रों के मुताबिक जानकारी मिली है कि राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति, संघ लोक सेवा आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों, मुख्य निर्वाचन आयुक्त, नियंत्रक महालेखा परीक्षक सहित अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के साथ ही सांसद और विधायकों के परिवार वालों को भी आरक्षण नहीं दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त को प्रदेश सरकार द्वारा क्रीमीलेयर को लेकर 17 अगस्त 2016 और 28 अगस्त 2018 को जारी की गई अधिसूचनाओं नाराजगी जताते हुए इन्हें रद कर दिया था। साथ ही इंद्रा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और हरियाणा पिछड़ा वर्ग आरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार तीन महीने के अंदर नई अधिसूचना लाने का निर्देश दिया था।
इसके बाद प्रदेश सरकार ने नए सिरे से क्रीमीलेयर तय की है। केंद्र सरकार ने आठ लाख रुपये से कम वार्षिक आय वालों को आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की श्रेणी में रखा है, जबकि हरियाणा में यह सीमा छह लाख रुपये रहेगी। इसी तरह केंद्र सरकार ने सीधे भर्ती प्रथम श्रेणी के अधिकारी या 40 वर्ष की आयु से पहले पदोन्नत अधिकारियों को ही क्रीमीलेयर में रखा है।
हरियाणा कांग्रेस की प्रधान कुमारी सैलजा ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिछड़े लोगों को आरक्षण से वंचित रखने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। क्रीमिलेयर को लेकर जारी की गई नई अधिसूचना सुप्रीम कोर्ट को भ्रमित करने वाली और असंवैधानिक है। यह अधिसूचना हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद की गई अधिसूचना का ही प्रतिरूप है जो सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना है।
जिसके बाद उन्होंने बताया कि सभी स्रोतों से वार्षिक आय छह लाख रुपये निर्धारित करने से चतुर्थ श्रेणी, डी श्रेणी के सैनिकों, किसानों और कौशल श्रमिकों के बच्चों के आरक्षण का अधिकार छीन लिया गया है। यह न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि इंद्रा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दिशा-निर्देशों पर केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों से भी अलग है।
उसके बाद उन्होंने यह भी कहा है कि अब हरियाणा में गरीब युवाओं के लिए नई स्कीम, खुलेंगे ‘हरहित स्टोर’, हर महीने 15 हजार रुपये कमाई की गारंटी
कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा सरकार वर्ष 1995 से 2016 तक केंद्र सरकार के क्रीमीलेयर मानदंड का पालन कर रही थी। इंद्रा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित आदेशों और केंद्र द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार ही हरियाणा के पिछड़े वर्गों को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।