कहते हैं पागलपन और जिद में एक बारीक लकीर होती है. जिसके बारे में पता लगाना मुश्किल है. अगर कोई व्यक्ति किसी चीज को करने की ठान लेता है और उसमें सफल हो जाता है तो उसको जिद का नाम दे दिया जाता है. वहीं यही सब करते हुए व्यक्ति असफल हो जाता है तो उस व्यक्ति को पागलपन का दर्जा दे दिया जाता है. अब इस शख्स को ही ले लीजिए. जिसने गूगल में नौकरी करने की कसम खाई थी और उसने गूगल में नौकरी करने के लिए पूरे 39 बार अप्लाई किया. पर 39 रिजेक्शन के बाद भी इस शख्स ने हार नहीं मानी और 40 पर प्रयास में आखिरकार इसको गूगल के द्वारा नौकरी दे दी गई है. हम बात कर रहे हैं. टाइलर कोहेन के बारे में.
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दरअसल, टाइलर कोहेन ने कुछ समय पहले दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार गूगल में जॉब करने का सपना देखा था. इसके लिए उन्होंने बाकायदा पढ़ाई भी करी, लेकिन जब उन्होंने गूगल में अप्लाई किया तो रिजेक्शन मिल गया. बस फिर क्या था. यहीं से उनका सफर शुरू हो गया.
इन्होंने एक के बाद एक ईमेल किए गूगल को पूरे 39 बार इन्होंने अपना मेल भेजा. लेकिन 39 बार ही इन्हें गूगल की ओर से निराशा ही हाथ लगी. उन्होंने इन्होनें हार नहीं मानी. जब उन्होंने 40 वें बार गूगल के पास जॉब करने के लिए मेल भेजा तो गूगल ने इनके मेल को एक्सेप्ट किया और इनको गूगल में नौकरी दे दी है. बता दें, टाइलर ने अमेरिका की एक फूड कंपनी डोरडैश में असोसिएट मैनेजर – स्ट्रैटेजी एंड ऑपरेशन के पद पर नौकरी करने वाले टाइलर कोहेन को गूगल ने 40 वीं बार अप्लाई करने के बाद नौकरी पर रखा है.
टाइलर ने गूगल में जॉब लगने के बाद बाकायदा मेल के स्क्रीनशॉट भी शेयर किए हैं. और गूगल ने भी इनके इस स्क्रीनशॉट पर रिएक्शन दिया है और पूछा है. कैसा रहा सफर. अब सवाल आता है इनकी जिद को पागलपन कहां जाए या जुनून. कहना गलत नहीं होगा उन्होंने अपनी जिद के दम पर ही गूगल में नौकरी पाई है. बता दें, इसकी जानकारी इन्होंने लिंकडइन पर शेयर की है. इनके इस पागलपन हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और अपनी चाहतों के लिए लगातार संघर्ष करते रहना चाहिए.
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