Solar and Lunar Eclipse: खगोल विज्ञान हो या ज्योतिष विज्ञान सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की घटनाओं दोनो की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाती है,खगोल विज्ञानी जहां साल भर इसका इंतजार करते हैं, वहीं ज्योतिष के अनुसार ग्रहण को अशुभ माना जाता है क्यों इन ग्रहणों का सीधा असर हमारी जिंदगी पर पड़ता है, इसलिए हमारे देश में चंद्र ग्रह और सूर्यग्रहण की अपनी ही खास महत्ता है। आपको बता दें कि इस साल यानी 2022 कुल चार ग्रहण लगने वाले है उन ग्रहण में से दो तो सूर्य ग्रहण होंगे और दो चंद्र ग्रहण होंगे और साल 2022 का पहला ग्रहण 30 अप्रैल को लगेगा जो कि आंशिक सूर्य ग्रहण (Surya Grahan ) होगा पर यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा और पहला चंद्र ग्रहण 16 मई को लगेगा।
कब कब लगेंगे ग्रहण
पहला ग्रहण: पहला ग्रहण सूर्य ग्रहण होगा जो कि, 30 अप्रैल 2022 को दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से शाम 4 बजकर 7 बजे तक रहने वाला है। यह सूर्यग्रहण आंशिक रूप से होगा और यह सूर्य ग्रहण दक्षिण-पश्चिम अमेरिका, प्रशांत अटलांटिक और अंटार्कटिका में दिखाई देगा। भारत में यह सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देने वाला है और इसलिए इसका सूतक मान्य नहीं होगा।
दूसरा ग्रहण और पहला चंद्रा ग्रहण : साल का दूसरा ग्रहण चंद्र ग्रहण रहने वाला है साल 2022 का पहला चंद्र ग्रहण 16 मई को लगेगा यह सुबह 07 बजकर 02 मिनट पर शुरु होकर दोपहर 12 बजकर 20 पर समाप्त होगा। पहला चंद्र ग्रहण भी सूर्य ग्रहण की तरह ही हमें देश में दिखाई नहीं देगा,और इसलिए इसका भी सूतक काल मान्य नहीं रहेगा। यह ग्रहण दक्षिणी-पश्चिमी यूरोप, दक्षिणी-पश्चिमी एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, पैसिफिक, अटलांटिक, अंटार्कटिका, हिंद महासागर में दिखेगा।
साल का तीसरा ग्रहण: साल 2022 का तीसरा दूसरा सूर्य ग्रहण होगा जो कि 25 अक्टूबर को लगेगा। यह सूर्य ग्रहण भी आंशिक रूप से ही लगेगा और शाम 04 बजकर 29 पर शुरू होकर 05 बजकर 42 मिनट पर खत्म होगा। यह ग्रहण भी हमारे देश में दिखाई नहीं देगा। इसे यूरोप, दक्षिण-पश्चिम एशिया, अफ्रीका और अटलांटिका में देखा जा पाएगा इस ग्रहण का भी सूतक काल मान्य नहीं रहेगा।
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साल का आखिरी ग्रहण और दूसरा चंद्र ग्रहण : साल का आखिरी और दूसरा चंद्र ग्रहण 8 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर शाम 07 बजकर 27 मिनट पर खत्म होगा। यह ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और भारत में दिखाई भी देगा और इसलिए इसका सूतक काल मान्य होगा। इस ग्रहण को भारत के साथ-साथ दक्षिणी-पूर्वी यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक और हिंद महासागर में देखा जा सकेगा।