उत्तराखंड हमारे देश भारत का एक ऐसा राज्य है, जिसके बारे में ऐसा माना जाता है कि वहां के लोग काफी मेहनती होते हैं. ऐसा कई बार देखा जा चुका है कि, उत्तराखंड के लोगों ने मेहनत करके ना केवल अपने राज्य का बल्कि, अपने देश भारत का भी नाम रोशन किया है. ऐसे ही आज हम आपको उत्तराखंड की एक मेहनती लड़की के बारे में बताएंगे, जिन्होंने गोल्ड मेडल जीतकर अपने राज्य उत्तराखंड की शान बढ़ा दी है. हालांकि वह व्हीलचेयर पर बैठकर गोल्ड मेडल जीता है.
दरअसल उत्तराखंड में दिव्यांगों के लिए खेल का महाकुंभ आयोजित किया गया. इसमें कई दिव्यांग खिलाड़ियों ने भाग लिया. जिसमें उत्तराखंड के देहरादून की रहने वाली गरिमा जोशी ने भी भाग लिया. आपको बता दें कि एक दुर्घटनाग्रस्त में गरिमा जोशी ने अपने दोनों पैर खो दिए. जिसके बाद वह व्हीलचेयर पर ही अपना जीवन व्यतीत करने लगी थी. लेकिन उन्होंने अपनी इस परेशानी को कभी भी कमजोरी नहीं समझा और अपने जीवन में आगे बढ़ने का फैसला किया.
गरिमा जोशी व्हीलचेयर पर बैठकर ही जैवलिन थ्रो खेल में भाग लिया. मीडिया को बताते हुए गरिमा जोशी कहती हैं कि उन्होंने व्हीलचेयर पर बैठकर ही जेवलिन थ्रो की. कई सालों से प्रैक्टिस की है जिसका नतीजा यह निकला कि, जब उन्होंने इस प्रतियोगिता में भाग लिया, तो वह एक गोल्ड मेडल जीतकर अपने राज्य उत्तराखंड का नाम रोशन किया. उन्होंने यह भी बताया कि दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद उनके लिए जीवन आसान नहीं था. लेकिन उन्होंने अपने जीवन की सारी चुनौतियों का सामना करके, अपने जीवन में यह मुकाम हासिल किया है.
आपको बताते चलें कि उत्तराखंड में हुए खेल के महाकुंभ में देशभर के कई दिव्यांगों ने भाग लिया. उनमें से कई दिव्यांगों ने अलग-अलग खेलों में गोल्ड मेडल हासिल किया. लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया पर गरिमा जोशी के चर्चे हो रहे हैं. लोगों का ऐसा मानना है कि, गरिमा जोशी के लिए जैवलिन थ्रो का खेल आसान नहीं था. लेकिन उन्होंने इस खेल में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है.
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