अंग्रेजी भाषा में एक शब्द होता है, ‘सेल्फमेड’ जिसका मतलब यह होता है कि, खुद से खुद को बनाना. हमारे देश भारत में ऐसा कई बार देखा जा चुका है कि, लोग अपनी जिंदगी को खुद से बनाते हैं. यह बात हम सब जानते हैं कि भारत में शिक्षा संस्थानों की फीस दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. यही कारण है कि, आम आदमी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पाता है. हालांकि सरकार ने कई प्रकार के सरकारी योजनाएं लागू की है, जो गरीब बच्चों को शिक्षा में मदद करती है. लेकिन इसके बावजूद भी कई छात्र ऐसे होते हैं, जो पैसे ना होने की वजह से अच्छे संस्थानों में पढ़ाई नहीं कर पाते.
ऐसे ही आज हम आपको मध्य प्रदेश के शहर इंदौर की रहने वाली उष्मा जोशी के बारे में बताएंगे. जिन्होंने कड़ी मेहनत करके आज अपने जीवन में एक बड़ा मुकाम हासिल किया है. उष्मा की निजी जिंदगी के बारे में बात करें, तो उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई इंदौर में ही पूरी की. वह एक साधारण से स्कूल से अपने इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की थी. जिसके बाद जब वह ग्रेजुएशन के सेकंड ईयर में थी तब से वह एमबीए की तैयारी करने लगी.
ये बात हम सब जानते हैं कि, एमबीए की पढ़ाई करने के लिए आईआईएम भारत का एक ऐसा इंस्टीट्यूट है, जो काफी मशहूर है. लेकिन इस इंस्टीट्यूट में आसानी के साथ दाखिला नहीं मिल पाता है. इस रिपोर्ट में दाखिला लेने के लिए छात्रों को काफी अधिक मेहनत करनी पड़ती है. जिसके बाद ही वह आईआईएम जैसे बड़े इंस्टिट्यूट में दाखिला ले सकते हैं. MBA की परीक्षा की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थानों की फीस का भी अधिक होती है. लेकिन उष्मा जोशी ने सेल्फ स्टडी करके आईआईएम अहमदाबाद में एडमिशन ले लिया.
उष्मा के पिता के बारे में बात करें तो उनके पिता दूध बेचकर अपनी बेटी को पढ़ाया. अपने पिता के संघर्ष के बारे में बात करते हुए उष्मा कहती हैं कि, “2001 में मेरा जन्म हुआ था. हमारे दादाजी पहले इंदौर आए थे. उसके बादा पिताजी आए थे. पापा पहले दूध की दुकान पर काम करते थे. साथ ही शहर में घूम-घूमकर साइकल से दूध बेचते थे. इस दौरान ही उन्होंने इंदौर में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया”.
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