जैसे की हम सभी जानते हैं अब साल 2021 जाने को है। देसी विदेशी ओटीटी ने साल भर खूब दम लगाया। डाउनलोड बढ़ाने के लिए तरह तरह के टोटके किए। एमएक्स प्लेयर ने एक अरब डाउनलोड का दम ठोंका। तो नेटफ्लिक्स ने भी साल के आखिर तक आते आते अपनी कीमत गिरा ली। प्राइम वीडियो को अपनी ई कॉमर्स सेवाओं का भरोसा है।
स्पेशल ऑप्स 1.5
ओटीटी: डिज्नी प्लस हॉटस्टार
वेब सीरीज ‘स्पेशल ऑप्स 1.5’ को देखकर एक बात तो समझ आती है और वह ये कि निर्देशक नीरज पांडे उस शख्स पर जरूरत से ज्यादा फिदा हैं जिस पर हिम्मत सिंह का ये किरदार आधारित है। भारतीय राजनीति, इसकी खुफिया एजेंसियों और उनके कार्यकलापों पर नजर रखने वाले इस पूरी सीरीज के कालखंड के हिसाब से उन घटनाओं का अनुमान आसानी से लगा सकते हैं जिन पर ये कहानी आगे बढ़ रही है। विपक्षी दल की महिला मुखिया। उसके बेटे की विदेश के समुद्रतटों पर महिला मित्रों के साथ मस्ती। तड़का अच्छा लगाया है वेब सीरीज ‘स्पेशल ऑप्स 1.5’ के लेखकों ने। लेकिन, इस कहानी में दुश्मन कोई बाहर का नहीं है। हिम्मत सिंह दरअसल अपना घर साफ करने के बाद हिम्मत सिंह बना।
मत्स्य कांड
ओटीटी: एमएक्स प्लेयर
वेब सीरीज ‘मत्स्य कांड’ देखी जा सकती है एक एक एपीसोड करके। बिंज वॉच लायक ये सीरीज तो नहीं बन सकी है लेकिन टीवी पर एंकरिंग और एक्टिंग करते रहे रवि दुबे ने इस सीरीज में दिखाया है कि हुनर भले हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में खेमेबाजी का शिकार होता रहे लेकिन ओटीटी का लोकतंत्र अब आज नहीं तो कल काबिल कलाकारों का दमखम उनके प्रशंसकों तक पहुंचा ही देगा। इस लिहाज से वेब सीरीज ‘मत्स्य कांड’ रवि दुबे की अदाकारी का अब तक का सबसे अच्छा और सबसे बड़ा प्रदर्शन है।
आर्या
ओटीटी: डिज्नी प्लस हॉटस्टार
‘आर्या’ सिर्फ एक नाम नहीं है। आर्या सरीन एक बिम्ब है समाज की उन महिलाओं का जिन्होंने एक बड़े खानदान की बहू बनने के बाद भी अपनी पहचान को संजोने का जतन किया। कारोबारी घरानों के ग्लैमरस चेहरों के पीछे कितनी बदसूरतें छिपी होती हैं, ये इस कहानी का असली मर्म है। हर रिश्ते का एक क्षेपक है और हर क्षेपक आगे चलकर अपने अलग ही दोहे, सोरठे, छंद और चौपाइयां गढ़ता जाता है। आर्या को उसका भरोसेमंद पुलिस अफसर विदेश से वापस तो ले आया है लेकिन उसकी सारी कोशिशों पर पानी तब फिरता दिखता है जब आर्या अपना अलग ही रास्ता पकड़ने निकल पड़ती है।
कोटा फैक्ट्री 2
ओटीटी: नेटफ्लिक्स
छोटे शहरों और कस्बों में जीवन की धुरी एक अलग ही बिंदु पर टिकी रहती है। ‘ब्रह्मचर्य ही जीवन है, वीर्य नाश ही मृत्यु है’ जैसी इक्का दुक्का किताब ही पिता से पुत्र को मिलने वाली पूरी ‘सेक्स एजूकेशन’ होती है। और, ये दिक्कत मेट्रो शहरों में न हो, ऐसा भी नहीं है। नेटफ्लिक्स पर प्रसारित होने वाली सीरीज ‘सेक्स एजूकेशन’ इसकी सबसे ज्यादा देखी जाने वाली सीरीज में शामिल है और शायद नेटफ्लिक्स की इस बूटी को इसीलिए सौरभ खन्ना और अरुणभ कुमार ने इस बार इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की तैयारी में लगे किशोरों की कहानी ‘कोटा फैक्ट्री’ में भी घोल दिया।
ग्रहण
ओटीटी: डिज्नी प्लस हॉटस्टार
हिंदी लेखकों का भी ओटीटी पर समय आ गया है, ये मैं नहीं सत्य व्यास का लिखा उपन्यास ‘चौरासी’ कह रहा है। शुक्रिया कहना चाहिए निर्माता अजय राय का जिन्होंने चेतन भगत और विक्रम चंद्रा जैसों पर लहालोट रहने वाली मुंबई की फिल्मी दुनिया में हिंदी उपन्यासों की प्रतिष्ठा लौटाई। रंजन चंदेल ने फिल्म ‘बमफाड़’ के बाद फिर बढ़िया काम किया है। वह थोड़ा सतर्क रहें और अपने सहायक बढ़िया चुनें तो उनका सिनेमा बेहतर और फिर बेहतरीन भी हो सकता है।
मुकेश जासूस
ओटीटी: डिज्नी प्लस हॉटस्टार
वेब सीरीज ‘मुकेश जासूस’ बीत रहे साल का चौंकाने वाला खुलासा जैसी है। न कहीं कोई प्रचार। न ओटीटी की पीआर एजेंसी की तरफ से किसी का फोन। मुफ्त का चंदन ऐसे ही घिसे जाने के लिए नंदन में छोड़ा जा चुका है।
एम्पायर
ओटीटी: डिज्नी प्लस हॉटस्टार
वेब सीरीज ‘द एम्पायर’ भंसाली स्कूल से निकले शागिर्दों का रीयूनियन है। मिताक्षरा ने ‘पद्मावत’ और ‘बाजीराव मस्तानी’ में भंसाली को असिस्ट किया। भवानी अय्यर भी भंसाली के साथ ‘ब्लैक’ और ‘गुजारिश’ लिख चुकी हैं। संवाद और गीत लिखने वाले एएम तुराज का परिचय बिना भंसाली के जिक्र के पूरा नहीं होता और शैल हांडा तो भंसाली की धुनों के साथ कितना करीब से जुड़े रहे हैं, ये भंसाली के संगीत की जानकारी रखने वाला हर शख्स जानता ही है। वेब सीरीज ‘द एम्पायर’ में भंसाली के प्रभाव में रहते हुए भी उनके शागिर्दों ने एक अलग उड़ान भरने की कोशिश ठीक की है।
इललीगल सीजन 2
ओटीटी: वूट सेलेक्ट
किरदार वहीं हैं, कलाकार भी अधिकतर वहीं हैं, बस निर्देशक का नजरिया बदल जाने से एक औसत सीरीज कैसे एक दमदार सीरीज में तब्दील हो सकती है, ‘इललीगल’ का दूसरा सीजन इसका सही उदाहरण है। अश्विनी चौधरी के निर्देशन में दर्शकों को किरदारों को पहले दूर से देखने की आदत लगती है और जैसे जैसे एहसास दर्शकों के दिल से जुड़ने शुरू होते हैं, वह दर्शकों को कहानी का हिस्सा इतने आहिस्ता से बनाते हैं कि खुद दर्शक को पता ही नहीं चलता। उनके निर्देशन में एक काल्पनिक कथा में असलियत की प्रतिक्रियाओं को जोड़ लेने की अनोखी क्षमता शुरू से रही है। अश्विनी बागी फिल्ममेकर हैं और इस चक्कर में वह भीड़ में शामिल भी नहीं होते।
द फैमिली मैन 2
ओटीटी: प्राइम वीडियो
‘द फैमिली मैन 2’ की शुरूआत सीधे लंका की जमीन से होती है। शुरू के पांच सात मिनट कहानी तमिल में ही चलती रहती है। सबटाइटल्स अंग्रेजी में हैं और अगर हिंदी पट्टी के लोग समझना भी चाहें कि परदे पर चल क्या रहा है तो उनके पास इन संवादों को समझने का जरिया नहीं है। जासूसी की दुनिया जो राज और डीके ने पिछले सीजन से बसाई है, उसके कुछ और रंग यहां दिखते हैं। असली जासूसी अफसर ऐसे ही काम करते हैं। बिना दुनिया की नजरों में आए। ‘द फैमिली मैन 2’ का लेखन और निर्देशन दोनों काफी अच्छा है।
तांडव
ओटीटी: प्राइम वीडियो
राजनीति में महिलाओं से कैसे खेल होते हैं, और किस तरह के खेलों में वह अपनी महत्वाकांक्षाओं या कमजोरियों के चलते शामिल होती हैं, इस पर ‘तांडव’ ने बहुत बारीकी से एक कथा को विस्तार दिया है। राजनीति की रेखाएं कभी बिस्तर पर, कभी लाइब्रेरी में तो कभी न्यूज चैनलों में अपने अपने हिसाब से बनाती बिगाड़ती इन महिलाओं में डिंपल कपाड़िया का अभिनय इनाम के काबिल है और उनके बाद नंबर दो पर हैं