भारत में यूपीएससी की परीक्षा को सबसे कठिन परीक्षा के रूप में देखा जाता है. कई मामलों में यह कहा जाता है कि इस तरह की परीक्षाएं वही अभ्यार्थी निकाल पाते हैं जो बचपन से ही तीर्व और तेज बुद्धि के हों. कुछ हद तक यह कहना सही भी है क्योंकि अधिकतर देखा जाता है कि जो बच्चा बचपन से ही पढ़ने लिखने में काफी तेज हो वह आगे चलकर यूपीएससी जैसे एग्जाम आसानी से क्रैक कर पाते हैं. लेकिन हर मामलों में यह बात सही नहीं है. कई बार ऐसा भी देखा गया है कि बचपन से मंदबुद्धि रहते हुए भी आगे जाकर अपनी मेहनत और लगन से कई अभ्यर्थियों ने यूपीएससी का एग्जाम निकालकर आईएएस बन चुके हैं.
आईएएस अनुराग कुमार की कहानी भी कुछ इस तरह का ही है, जिन्होंने अपने पढ़ाई के दौरान कई बार फेल होने के बाद आज वह आईएएस अनुराग कुमार के नाम से जाने जाते हैं. अनुराग हिंदी मीडियम का एक साधारण अभ्यार्थी था. जिन्होंने आठवीं कक्षा तक हिंदी मीडियम से पढ़ाई की. उसके बाद इंग्लिश मीडियम में दाखिला लिया. हिंदी मीडियम से अचानक यू अंग्रेजी मीडियम में चले जाना काफी मुश्किलों भरा काम था. अनुराग ने इंग्लिश मीडियम के द्वारा ही मैट्रिक की परीक्षा में 90% अंक हासिल किया.
खबरों के मुताबिक अनुराग 12वीं के प्री एग्जाम में असफल हुआ. लेकिन 12वीं के फाइनल परीक्षा में सफल रहा. स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद अनुराग ने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स में अपना नामांकन कराया. इस दौरान स्नातक की पढ़ाई करते हुए अनुराग ने कई बार कई पेपरों में फेल हुए. लेकिन फिर भी वह लगातार पढ़ाई करते रहे और स्नातक के साथ-साथ मास्टर की भी डिग्री ली. मास्टर की पढ़ाई करने के दौरान ही अनुराग ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी.
बार-बार फेल होने वाले विद्यार्थी अनुराग कुमार ने यूपीएससी की परीक्षा में पहली ही प्रयास में सफलता हासिल किया. लेकिन वह अपनी इस सफलता से खुश नहीं थे. वह दोबारा प्रयास कर फिर से अच्छा रैंक लाने में जुड़ गए. उसके बाद साल 2018 में इन्होंने यूपीएससी का परीक्षा दिया और इसमें 48 वां रैंक लाकर अपने परिवार वालों का नाम रोशन किया.
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