जब देश में तीन तलाक के खिलाफ कानून बना था उस समय इस पर काफी विवाद हुआ था लेकिन मुस्लिम महिलाओं ने समर्थन किया था और कड़ी मशक्कत के बाद यह कानून बन गया था, इसके बाद लगने लगा था कि अब मुस्लिम महिलाओं के साथ तलाक देकर अत्याचार नहीं किया जाएगा. लेकिन मुस्लिम व्यक्तियों ने अब इसकी भी एक काट खोज ली है. दरअसल, मुस्लिमों में तलाक- ए- हसन का रिवाज है. इसके तहत कोई भी व्यक्ति अपनी पत्नी को 3 महीने लगातार तलाक तलाक बोलकर उससे अलग हो सकता है. इसमें उस व्यक्ति को हर महीने तलाक बोलना होता है. वही अब इस मामले को लेकर एक महिला सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पहुंच चुकी है.
महिला के पास है 48 घंटे का समय
बता दें, जिस महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उसका नाम बेनजीर हिना है और वह गाजियाबाद की रहने वाली है. इस महिला ने सुप्रीम कोर्ट में दी गई याचिका में कहा है कि सरकार को महिलाओं को भी बराबर अधिकार दिए जाने चाहिए. इसमें कहा गया है तलाक लेने का अधिकार सिर्फ एक तरफा पुरुषों के पास ही है. पुरुष जब चाहे तलाक ले सकता है. भले ही सरकार ने कानून बना दिया है लेकिन धरातल पर इसका कोई तोड़ नजर नहीं आता है. इस महिला ने अपने पति पर दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. इसने कहा है कि उसको दहेज नहीं मिला इसके लिए वह तलाक लेना चाहता है. वही इस महिला के पास इस चीज को साबित करने के लिए 48 घंटे का समय है.
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सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
बताया जा रहा है इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होने वाली है. न्यायमूर्ति एस एस बोपन्ना विक्रम नाथ की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करने का फैसला लिया है. वही बता दें, गाजियाबाद की रहने वाली इस महिला के अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय हैं. जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सामने इस महिला की तरफ से अपनी बात पूरी जोरदार इसे रखी है. याचिका में अश्विनी उपाध्याय की तरफ से कहा गया है कि जो इस महिला को तलाक दिया गया है. वह गैर संवैधानिक है और इसमें जीवन और स्वतंत्रता के अधिकारों के साथ उल्लंघन किया गया है.
क्या होता है तलाक- ए- हसन
अब आपके दिमाग में सवाल आ रहा होगा कि आखिर तलाक- ए- हसन क्या होता है तो बता दें, इस्लाम के जानकार बताते हैं कि तलाक- ए- हसन का मतलब कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को तीन अलग-अलग मौकों पर तलाक लिखकर या बोलकर तलाक दे सकता है और तीसरी बार में यह शादी टूटी मानी जाती है. वहीं तालाक ऐ हसन के लिए 90 दिन की समय सीमा भी होती है.
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