यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन हिंदी में संघ लोक सेवा आयोग के नाम से जाना जाता है. यह हर साल यूपीएससी का पेपर कंडक्ट कराता है और लगभग 1000 सीटें निर्धारित होती है, लेकिन इन सीटों को हासिल करने के लिए यूपीएससी को आवेदन लाखों में मिलते हैं. अब आप अंदाजा लगा लीजिए. इस परीक्षा का पैटर्न क्या होगा और यह कितनी कठिन परीक्षा होगी जाहिर है यह देश की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है. इस परीक्षा को पास करने के लिए अच्छे-अच्छे सूरमा फेल हो जाते हैं. हालांकि, कुछ ऐसे भी लोग होते हैं. जो सफलता का परचम लहरा देते हैं. इस आर्टिकल में हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बताने वाले हैं. जिसने झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को शिक्षा देते हुए यूपीएससी सीएसई परिक्षा 2019 में सफलता हासिल की थी.
तैयारी के साथ-साथ झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को पढ़ाया
हम जिस ऑफिसर के बारे में बात कर रहे हैं. उनका नाम सिमी करण है. जिन्होंने साल 2019 यूपीएससी की परीक्षा में सफलता का परचम लहराया था. जब यह बी टेक की पढ़ाई कर रही थी. उस दौरान मुंबई की झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों के लिए यह गौरव भरा काम कर रही थी. दरअसल, यह पढ़ाई के दौरान उन बच्चों को भी शिक्षा देने का काम करती थी. सिमी करण सोचा क्यों ना उन बच्चों को भी शिक्षा दी जाए. जिससे कि वह आगे बढ़ सके. बता दें, सिमी करण आईआईटी बॉम्बे की पूर्व छात्रा रही हैं. आईआईटी से पढ़ाई करने के बाद इन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में बैठने का फैसला किया था. पहले यह इलेक्ट्रिकल इंजीनियर चाहती थी लेकिन इनके दिमाग में अब आईएएस बनने का फितूर सवार हो गया.
इंजीनियरिंग करने के बाद बदल गया इरादा
जब सिमी करण 12 वीं कक्षा में थी. तब इन्होंने केमिस्ट्री फिजिक्स और मैथ जैसे सब्जेक्ट लिए थे. जाहिर है यह इंजीनियरिंग में अपना कैरियर बनाना चाहती थी, लेकिन जब इनकी बी टेक कंपलीट हुई तो उनका इरादा बदल गया और उन्होंने तय कर लिया कि उन्हें यूपीएससी की परीक्षा के लिए खुद को तैयार करना है. इसी सिलसिले में इन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी करना शुरू कर दिया और जी तोड़ मेहनत करने लगी. यह उस दौरान इंटरव्यूज और सफल अभ्यर्थियों के द्वारा बताई गई रणनीतियों पर पूरा फोकस करती थी और छोटे-छोटे टारगेट बनाकर पढ़ाई करती थी.
आखिरकार सफल हुई मेहनत
सिमी करण ने इस परीक्षा को पास करने के लिए जी तोड़ मेहनत की थी और उसका फल उन्हें साल 2019 में मिला. जब इन्होंने इस परीक्षा में ऑल इंडिया 31 वी रैंक हासिल की थी और एक आईएएस अधिकारी के रूप में खुद को मुकाम दिलाया था. बता दें, जब इन्होंने लबासना यानी लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी से ट्रेनिंग ली थी. उस समय इन्हें एलबीडी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
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