भारत की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाने वाली यूपीएससी एक ऐसी परीक्षा है, जिसे पास करने के लिए काफी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. आपको बता दें कि यूपीएससी के परीक्षा में हर कोई सफलता हासिल नहीं कर सकता. इस परीक्षा को पास करने के लिए एक लग्न की जरूरत होती है. मालूम हो कि यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा को पास करने के लिए ना केवल दिमागी रूप से बल्कि आर्थिक रूप से भी सक्षम होना पड़ता है. ऐसा माना जाता है कि यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने के लिए लाखों की फीस देनी पड़ती है. यूपीएससी की कोचिंग संस्थानों की फीस लाखों में होती है.
लेकिन हमारे देश भारत में ऐसे कई छात्र हैं जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा को बिना कोचिंग संस्थान की मदद से पास किया है. भारत के जिन छात्रों ने बिना कोचिंग संस्थान की मदद से यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा में सफलता हासिल की है, उन छात्रों में एक नाम रमेश घोलप का भी है. आपको बता दें कि रमेश भारत के राज्य महाराष्ट्र से ताल्लुक रखते हैं. रमेश की जिंदगी काफी गरीबी में गुजरी है. लेकिन इन्होंने हमेशा कठिनाइयों का सामना डटकर किया है. आज हम आपको आईएएस अधिकारी रमेश की निजी जिंदगी एवं उनकी शुरुआती जिंदगी के बारे में बताएंगे.
रमेश की शुरुआती जिंदगी के बारे में बात करें तो इनकी जिंदगी काफी गरीबी में गुजरी है. मालूम हो कि रमेश के पिता एक मामूली साइकिल के दुकान में काम करते थे. लेकिन उन्हें शराब की गंदी लत लगी हुई थी, जिसकी वजह से अचानक वह बीमार पड़ गए. रमेश के पिता के बीमार पड़ने के बाद घर की सारी जिम्मेदारी रमेश की माँ के ऊपर आ गई. रमेश की माँ उन दिनों सड़कों पर चूड़ियां बेचा करती थी. जिसमें रमेश भी अपनी माँ का साथ दिया करते थे. लेकिन कुछ समय के बाद रमेश के पिता का देहांत हो गया. मालूम हो कि जब रमेश के पिता का देहांत हुआ तब रमेश अपने चाचा के घर में इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी कर रहे थे.
पिता के देहांत के बाद रमेश अपने पिता के अंतिम संस्कार में जाना चाहते थे. लेकिन उनके पास बस का किराया नहीं था. मालूम हो कि उस समय बस का किराया केवल ₹7 था. यही नहीं बल्कि रमेश विकलांग थे तो विकलांग के लिए बस का किराया केवल ₹2 ही था. लेकिन रमेश के पास ₹2 भी नहीं थे. उसी समय उन्होंने ठान लिया था कि, वह अपने जीवन में यूपीएससी की परीक्षा पास करेंगे. उन्होंने पहली बार साल 2010 में यूपीएससी की परीक्षा दी थी. लेकिन उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई. जिसके बाद साल 2012 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दोबारा दी और इस बार उनके हाथ सफलता लगी. मालूम हो कि विकलांग कोटा से रमेश आईएएस अधिकारी बन गए.
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