मन में कुछ करने का जुनून और सच्ची दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर आप कोई भी काम करते हैं तो आपको सफलता हासिल हो ही जाती है. अक्सर समय-समय पर ऐसे लोग इस बात को सही साबित करते रहते हैं. इन लोगों के पास ज्यादा संसाधन मौजूद नहीं होते लेकिन यह लोग अपने संघर्ष और प्रबल आत्मविश्वास के दम पर अपनी मंजिल हासिल कर लेते हैं. आज की सक्सेस स्टोरी श्रीधन्या सुरेश की है. जिन्होंने साल 2018 में आईएएस ऑफिसर बनने तक का सफर तय किया था. ये केरल की पहली आदिवासी लड़की है. जिन्होंने यह कारनामा रचा था, लेकिन यहां पहुंचने के लिए श्रीधन्या सुरेश ने खूब संघर्ष किया था.
माता-पिता करते थे मनरेगा में मजदूरी

श्रीधन्या सुरेश केरल के आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं. यह वायनाड जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली हैं. शुरुआती शिक्षा इनकी यहीं से हुई थी केरल का यह जिला आर्थिक और सामाजिक रुप से काफी पिछड़ा हुआ है. इनके माता-पिता मनरेगा में काम करते थे. धनुष – बाण बनाकर अपने घर का पालन पोषण करते थे. बेटी पढ़ाई लिखाई में हमेशा से ही एक्टिव थी, लेकिन प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के लिए पैसे नहीं होते थे. जिसकी वजह से इनकी शुरुआती शिक्षा गांव के ही एक सरकारी स्कूल में रहकर संपन्न हुई. इसके बाद उन्होंने तमाम परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए सेंट जोसेफ कॉलेज से जूलॉजी में स्नातक पूरा किया था. कुछ ही समय बाद इन्होंने पीजी की पढ़ाई कर ली और विकास विभाग में क्लर्क के रूप में नौकरी करने लगी.
दिल्ली पहुंचने के लिए नहीं थे पैसे

श्रीधन्या सुरेश की आर्थिक परेशानियां क्या रही होंगी. इस बात का अंदाजा लगाने के लिए आप समझ लीजिए. उन्होंने साल 2016 और 17 में यूपीएससी की परीक्षा को दिया था और इनमें यह सफल नहीं हो पाई, लेकिन साल 2018 में जब इन्होंने इस परीक्षा को दिया तो इन्हें 410 वी रैंक हासिल हुई. अब बारी इंटरव्यू की थी. उन्होंने बताया जब उन्हें इंटरव्यू के लिए दिल्ली जाना था तो उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह दिल्ली जा सके, लेकिन दोस्तों से और कुछ लोगों से पैसा उधार लेकर वह दिल्ली इंटरव्यू देने के लिए गई थी. इन्हें इस दौरान 40 हज़ार का चंदा इकट्ठा करके दिया गया था. जिसकी बदौलत यह दिल्ली पहुंचने में सफल हुई थी.
लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है श्रीधन्या सुरेश

आईएएस ऑफिसर श्रीधन्या सुरेश ऐसे तमाम लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. जो संसाधनों की कमी होने के कारण हार मान लेते हैं और अपनी किस्मत पर सफल ना होने का ठीकरा फोड़ते रहते हैं. इनके पास भले ही संसाधन की कमी थी, लेकिन इनकी प्रबल इच्छाशक्ति की वजह से उन्होंने अपनी मंजिल को हासिल किया. वाकई आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाली श्रीधन्या सुरेश अब तमाम लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.
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