Baba Danish Lengar : कहते हैं कठिन परिश्रम और जुनून के आगे किस्मत घुटने टेक देती है और मेहनत आपको सफलता के द्वार पहुंचा देती है. वाकई यह बात सही भी प्रतीत होती है क्योंकि जो लोग सच्चे दिल से परिश्रम करते हैं. उनको एक ना एक दिन सफलता जरूर हासिल होती ही है. आज के इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसे आर्मी ऑफिसर की कहानी बताने वाले हैं. जिसने आर्मी में ऑफिसर बन कर अपना और अपने परिवार का सम्मान बहुत ऊंचा कर दिया है और सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह लड़का किसी समय पर लकवा से पीड़ित था. लेकिन इसने उस बीमारी को हराकर अब यह मुकाम हासिल किया है. जी हां, हम आज के इस पोस्ट में युवा सैन्य अधिकारी बने बाबा दानिश लंगर की कहानी से रूबरू कराने वाले हैं. इनकी कहानी बहुत प्रेरणा भरी है और आपके अंदर जोश और जुनून दोनों भर देगी.
लकवा को दी मात कभी हौसला नहीं छोड़ा
बाबा दानिश एक ऐसी प्रेरणा का नाम है. जो साल 2017 में लकवा जैसी बीमारी के चपेट में आ गए थे ऐसी स्थिति में ज्यादातर लोग घुटने टेक देते हैं लेकिन दानिश घुटने टेकने वालों में से नहीं थे. उन्होंने अपनी बीमारी से काफी संघर्ष किया और फिर पढ़ाई के क्षेत्र में अपने आप को आगे बढ़ाने की रफ्तार दी दानिश बचपन से ही आर्मी में जाना चाहते थे लेकिन जब इनके यह बीमारी हुई थी तो इनका यह सपना बिखरने लगा था लेकिन कहते हैं ना जिस चीज को आप शिद्दत से चाहते हैं. कायनात भी उसे पाने में आपके साथ मिल जाती है. उन्होंने ना सिर्फ रोग को हराया बल्कि अपना मुकाम भी हासिल किया और वर्तमान समय में सैन्य अधिकारी बन चुके हैं.
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आसान नहीं था लकवा से लड़ना
भले ही बाबा दानिश अब कड़ी मेहनत के दम पर सेना में सैन्य अधिकारी बन चुके हैं लेकिन एक समय पर इनके सपने बिखरने लगे थे और जब यह इस बीमारी की चपेट में आए थे. उस समय लोगों ने भी उम्मीद छोड़ दी थी कि यह लड़का कभी आर्मी भी ज्वाइन करेगा. लेकिन इन्होंने उस दौर में भी अपनी मेहनत को नहीं छोड़ा इनके पिता राजेश लैंगर ने बताया कि उनके बेटे ने इस कठिन परिस्थिति में भी खूब शारीरिक परिश्रम किया था. ना सिर्फ शारीरिक परिश्रम किया बल्कि किताबें भी उसने उस दौर में खूब पढ़ी थी और अब वह आर्मी में एक मुकाम हासिल कर चुका है. इसके बाद उन्हें अपने बेटे पर काफी गर्व है और वह उम्मीद करते हैं कि आगे उनका बेटा और अच्छा करेगा और इससे भी बड़ी पोस्ट हासिल करेगा.
परिवार के साथ दोस्त भी खुश
दानिश लंगर की इस सफलता से उनके परिवार और रिश्तेदार तो खुशी के मारे फुले नहीं समा रहे हैं. वहीं इन के दोस्त भी इस सफलता से काफी खुश हैं. इनके एक क्लासमेट ने कहा अगर ऐसी स्थिति में और कोई होता तो शायद हिम्मत छोड़ देता कि वह कभी आर्मी में ऑफिसर बनेगा. लेकिन दानिश ने ठान लिया था कि एक ना एक दिन वह आर्मी में वर्दी जरूर पहनेंगे. दूसरे दोस्त ने कहा कि वाकई इनकी मेहनत एक प्रेरणा देने वाली है. जो भी हो बाबा दानिश ने अपनी कड़ी मेहनत और जुनून के दम पर दिखा दिया है कि आप कितने भी कमजोर हो लेकिन आप के हौसले पस्त नहीं होने चाहिए. आप जिंदगी में जो हासिल करना चाहते हैं. वह 1 दिन आपको मिल ही जाता है.
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