मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती, यह बात हमें अक्सर सुनने को मिलता है. लेकिन असल जिंदगी में शायद ही कभी ऐसा मौका आता है, जब इस बात को सच होता हुआ देखते हैं. आपको बता दें कि छात्रों के जीवन में अगर कोई लक्ष्य होता है, तो वह उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. हालांकि लक्ष्य को पाने से पहले उन्हें कई बार असफलता हाथ लगती है लेकिन इसके बावजूद वह हिम्मत नहीं हारते और अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए मेहनत करते रहते हैं. ऐसे ही आज हम आपको एक छात्र सूरज के बारे में बताएंगे, जो पिछले 5 सालों से अपने लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे. 5 सालों के बाद उन्हें सफलता हासिल हुई.
छठे प्रयास में निकाला नीट की परीक्षा
आज हम आपको जिस छात्र के बारे में बताने वाले हैं, उस छात्र का नाम सूरज है. सूरज भारत के राज्य उड़ीसा से ताल्लुक रखते हैं. सूरज के परिवार वालों की बात करें, तो उनके पिता उड़ीसा के एक अस्पताल के बाहर चाय की टपरी लगाते हैं. सूरज का सपना शुरू से ही एक डॉक्टर बनने का था. लेकिन उनके आर्थिक स्थिति काफी खराब थी. सूरज अपने पिता के साथ अस्पताल के बाहर चाय की टपरी पर अपने पिता की मदद करते थे. वह डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन इसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे. जिसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वह नीट की परीक्षा पास करेंगे और डॉक्टर बनेंगे.
आपको बता दें कि सूरज पिछले 5 सालों से नीट की परीक्षा को पास करने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने पहली बार नीट की परीक्षा साल 2017 में दी थी. लेकिन उनके हाथ निराशा ही लगी जिसके बाद उन्होंने साल 2018 एवं 2019 में भी नीट की परीक्षा दी. लेकिन उनके उनके में कुछ खास बदलाव नजर नहीं आया. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हरा और लगातार ने की परीक्षा की तैयारी करते रहे. साल 2021 में वह मात्र 10 अंकों से नीट की परीक्षा को पास करने से पीछे रह गए.
आपको बताते चलें कि छठे प्रयास जानी सॉन्ग 2022 की नीत की परीक्षा में सूरज ने 633 अंक लाकर ना केवल अपना बल्कि अपने परिवार वालों का नाम रोशन किया. मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में सूरज कहते हैं कि, “हम जब अपने लिए एक मंज़िल निश्चित कर लेते हैं तो रास्ते में कठिनाइयां कितनी भी हों, उनका असर कम होना शुरू हो जाता है मेरे साथ भी यही हुआ”.
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