कुलदीप द्विवेदी उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के रहने वाले हैं. इनके पिता का नाम सूर्यकांत द्विवेदी है जो लखनऊ यूनिवर्सिटी में एक गार्ड की नौकरी करते हैं. कुलदीप के पिता लखनऊ यूनिवर्सिटी में गार्ड की नौकरी 1991 में ज्वाइन किया था. उस समय तनख्वाह के रूप में 1100 रुपए प्रति माह मिलते थे. उस समय वह इन्हीं पैसों से अपने पूरे परिवार वालों का भरण पोषण किया करते थे. धीरे-धीरे उनकी पगार में वृद्धि होती गई. लेकिन इनकी सैलरी उतना नहीं बन पाए जिससे वह अपने सभी बच्चों को महंगी शिक्षा प्रदान कर सकें. लेकिन हां एक बात जरूर कहा करते थे कि मेरा बेटा कुलदीप द्विवेदी एक दिन जरूर सरकारी अफसर बनेगा.
अपने पिता का सपना सच करने के लिए कुलदीप ने संघर्ष पूर्ण स्थिति का सामना करते हुए यूपीएससी की परीक्षा क्रैक कर सिविल सर्विस के सरकारी अफसर बन गए. हालांकि इनके पिता अधिक शिक्षित नहीं थे जिसके कारण इन्हें कहीं भी अच्छा जॉब नहीं मिल सका था. इसलिए शिक्षा की महत्वपूर्णता को काफी अच्छे ढंग से समझते थे. यही कारण था कि वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास करते थे. बच्चे कुछ बड़ा हुए तब वह अपने अच्छी शिक्षा के आधार पर प्राइवेट नौकरी करने लगे जिससे उनके घर की स्थिति कुछ हद तक बेहतर होने लगी.
सूर्यकांत द्विवेदी का छोटा बेटा कुलदीप 2009 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से BA करने के बाद उसी यूनिवर्सिटी में भूगोल से MA किया. इसके बाद कुलदीप यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली चले गए. वहां इन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा पैसे की अभाव के कारण शेयरिंग रूम में रहना पड़ा. घर से पैसा बहुत कम आया करता था. इसलिए वह किसी भी काम को अपने रूम पार्टनर के साथ किया करते थे. यहां तक के पढ़ने के लिए किताबें रूम पार्टनर के साथ शेयर किया करते थे.
तैयारी करते हुए कुलदीप ने दो बार यूपीएससी की परीक्षा में असफल हो गए. जिससे कुलदीप का 2 वर्ष यूं ही चला गया. इन्हें डर था कि जितना देर होगा घर से पैसा आना धीरे-धीरे कम होता चला जाएगा. आखिरकार वह 2015 में एक बार फिर परीक्षा हॉल में बैठे और इस बार उन्होंने कामयाबी का झंडा लहरा दिया. यूपीएससी में 242 वां रैंक हासिल कर अपने माता-पिता का सपना पूरा कर दिया. रिजल्ट के बाद इन्होंने रिवेन्यू सर्विस में सेवा देने का निर्णय लिया.
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