स्कूल हर बच्चे का जीवन का एक अहम हिस्सा होता है. स्कूल वह जगह होता है जहां बच्चे बहुत कुछ सीखते हैं. यही नहीं बल्कि हमारे देश भारत में स्कूल को एक बच्चे का दूसरा घर भी कहा जाता है. तो वह स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों को दूसरा माता-पिता, क्योंकि स्कूल की वह जगह होता है जहां से वह कई अच्छी चीजें सीखते हैं. तो वही स्कूल के शिक्षक उन बच्चों को कई तरह की अच्छी चीजें सिखाते हैं. लेकिन हमारे देश भारत में सरकारी स्कूलों की हालत काफी खराब मानी जाती है. यही नहीं बल्कि शिक्षा के मामले में भी हमारा देश काफी पीछे है.श्रलेकिन पिछले कुछ सालों से हमारा देश शिक्षा के मामले में उभर कर सामने आ रहा है, लेकिन स्कूल की हालत अभी भी वही है.
महिला प्रधानाचार्य ने स्कूल को बना दिया स्मार्ट
आपको बता दें कि हमारे देश में लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना नहीं चाहते हैं. सरकारी स्कूल में ना पढ़ाने के पीछे की सबसे बड़ी वजह है कि, हमारे देश के सरकारी स्कूलों की हालत काफी खराब है. सरकारी स्कूल में ना तो ठीक से पढ़ाई हो पाती है और ना ही स्कूल का बिल्डिंग उस लायक होता है कि, लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल भेजें. लेकिन धीरे-धीरे हमारे देश में सरकारी स्कूलों की हालत सुधर रही है और इन स्कूलों की हालत सुधारने में कुछ ऐसे प्रधानाचार्य का हाथ है, जो स्कूल को स्कूल नहीं बल्कि अपना घर मानकर उसकी देखरेख करते हैं.
आज हम आपको जिस प्रधानाचार्य के बारे में बताने वाले हैं, उस प्रधानाचार्य का नाम रघुवीर कोर है. जो पंजाब के पठानकोट इलाके की एक स्कूल की प्रिंसिपल है. आपको बता दें कि जब रघुवीर कोर साल 2015 में सरकारी स्कूल में आई थी, तब इस सरकारी स्कूल की हालत काफी खराब थी. स्कूल के अंदर की बेंच एवं कई जरूरी सामान टूटे हुए थे. तो वही स्कूल की बिल्डिंग भी काफी बेकार हाल में थी. लेकिन साल 2015 में स्कूल के प्रधानाचार्य बनी रघुवीर कौर ने फैसला किया था कि, वह स्कूल को बदल देंगी.
आपको बताते चलें कि सरकार इस सरकारी स्कूल पर ध्यान नहीं दे रही थी. यही कारण था कि स्कूल के प्रधानाचार्य रघुवीर गौर ने खुद ही स्कूल को बदलने का फैसला किया. वह स्कूल को बदलने के लिए आसपास के लोगों से समर्थन मांगा. जिसके बाद उन्होंने 2 साल के अंदर इस स्कूल की कायापलट कर दी. जहां यह स्कूल की बिल्डिंग दिखने में काफी बेकार एवं कमजोर लगती थी, तो वहीं अब यह स्कूल प्राइवेट स्कूल को भी कड़ी टक्कर दे रहा है. यही नहीं बल्कि आसपास के लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से हटाकर, सरकारी स्कूल में दाखिला करवा रहे हैं.
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