भारत के महामहीम की गद्दी पर द्रोपदी मुर्मू विराजमान हो चुकी है. द्रोपदी मुर्मू ने यूपीए के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को भारी वोटों से हराया है. आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाली द्रोपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी समाज से आने वाली राष्ट्रपति बन गई है. वहीं देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति का गौरव भी इन्हें प्राप्त हुआ है. आज हम जानेंगे कि द्रोपदी मुर्मू कौन है और कैसे उन्होंने पार्षद से लेकर राष्ट्रपति बनने तक का सफर तय किया है.
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जानिए कौन है द्रोपदी मुर्मू
भारत की 15 वीं राष्ट्रपति का गौरव हासिल करने वाली द्रोपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को हुआ था. मुर्मू साल 2015 से लेकर 2021 के दौरान झारखंड की राज्यपाल रही थी. ओडिशा के छोटे से गांव बाईदासा पोसी से ताल्लुक रखने वाली द्रोपदी मुर्मू ने भले ही राष्ट्रपति पद हासिल कर लिया है, लेकिन यहां पहुंचने के लिए उन्होंने संघर्ष भी खूब किया है. इनकी दरियादिली का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं. इन्होंने एक कॉलेज में बिना सैलरी लिए ही बच्चों को काफी समय तक पढ़ाया था. इनकी सत्यनिष्ठा और काम करने का तरीका ही इनके पार्षद से राष्ट्रपति बनाने तक के सफर में काम आया है.
ऐसा रहा राजनीतिक सफर
द्रोपदी मुर्मू का राजनीतिक सफर भी खूब उतार-चढ़ाव भरा रहा है. इनके राजनीतिक कैरियर की बात करें तो साल 1997 वह साल था. जब इनके राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई थी. सबसे पहले मुर्मु रायरंगपुर सिविक बॉडी के चेयर पर्सन के पद को संभालने का मौका मिला था. वहीं 1997 में इन्होंने भारतीय जनता पार्टी की तरफ से उड़ीसा में एसटी मोर्चा की प्रेसिडेंट के पद पर भी काम किया. द्रोपति मुर्मू साल 2000 में पहली बार विधायक के पद पर काबिज हुई थी. उस दौरान इन्होंने भारतीय जनता पार्टी के एलाइंस के साथ विधायक का पद हासिल किया. इसके बाद यह 2000 से लेकर 2004 तक उड़ीसा सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रही. उन्होंने इस दौरान उड़ीसा के लिए कई अहम काम किए थे. यही कारण रहा कि साल 2007 में द्रोपदी मुर्मू को बेस्ट मिनिस्टर ऑफ लेजिसलेटिव विधायक का अवार्ड् दिया गया था.
देखे हैं कई उतार-चढ़ाव
द्रोपति मुर्मू आदिवासी समाज से ताल्लुक रखती हैं. आप जानते हैं. इस समाज की देश और समाज में कितनी वैल्यू है. द्रोपदी मुर्मू निजी जिंदगी में भी काफी दुख दर्द झेल चुकी हैं. इनके दो बेटे और पति की मृत्यु हो चुकी है. लेकिन यह हमेशा से ही लोक सेवा को सर्वोपरि मानती हैं. इनका लोकसेवा का सफर आज तक कायम है. यही वजह है आज द्रोपदी मुर्मू देश के सबसे पहले नागरिक के तौर पर अपनी पहचान बना चुकी हैं. तमाम संघर्षों को देखने के बाद द्रोपदी मुर्मू प्रतिभा पाटिल के बाद से दूसरी राष्ट्रपति महिला राष्ट्रपति बनी है. बता दें, पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल बनी थीं. जिसके बाद अब दूसरी राष्ट्रपति आदिवासी समाज से आने वाली द्रोपदी मुर्मू बनी है.
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