हर व्यक्ति अपने जीवन में कामयाबी हासिल करना चाहता है् आपको बता देंगे जीवन में कामयाबी हासिल करने के लिए कठिन परीक्षण की आवश्यकता होती है. ऐसा कई बार देखा जा चुका है किस कई संघर्षों के बाद भी लोगों ने अपने जीवन में कामयाबी हासिल की है. ऐसे ही आज हम आपको एक व्यक्ति के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपने जीवन में वह मुकाम हासिल किया है, जो किसी के लिए भी सपना हो सकता है. हालांकि उन्होंने अपने जीवन में कई परिस्थितियों का सामना किया है. मालूम हो कि आज हम आपको जिस व्यक्ति के बारे में बताने वाले हैं, वह एक आईएएस अधिकारी हैं, लेकिन उनके पिता एक रिक्शा चालक हैं.
उत्तर प्रदेश के अंतर्गत आने वाला वाराणसी जिले के गोविंद जयसवाल आज एक आईएएस अधिकारी हैं. लेकिन यहां तक का सफर तय कर पाना उनके लिए आसान नहीं था. मालूम हो कि गोविंद जयसवाल के पिता एक रिक्शा चालक है. दरअसल वह शुरू से ही एक रिक्शा चालक नहीं थे. एक समय में वह कई रिक्शा के मालिक हुआ करते थे. लेकिन साल 2005 में गोविंद की माता जी का देहांत हो गया, दरअसल गोविंद के माता जी को ब्रेन ट्यूमर था.
आपको जानकर हैरानी होगी कि गोविंद के माता जी का इलाज करवाने के लिए गोविंद के पिताजी ने अपने सारे रिक्शे बेच डाले. लेकिन इसके बावजूद भी वह अपनी पत्नी को नहीं बचा पाए. यही कारण है कि गोविंद के माँ का देहांत के बाद गोविंद के पिताजी खुद भाड़े पर रिक्शा चलाने लगे. अपने घर की समस्याओं को देखते हुए गोविंद ने अपने जीवन में कामयाबी हासिल करने के बारे में सोचा. उन्होंने साल 2006 में दिल्ली आकर यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा की तैयारी करने लगे.
लगभग 2 सालों तक यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा की तैयारी करने के बाद साल 2007 में गोविंद जायसवाल ने इतिहास रच दिया. उन्होंने यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा में सफलता हासिल करके ना केवल अपना बनके अपने पिताजी का नाम भी रोशन किया . आपको बताते चलें कि गोविंद जायसवाल ने साल 2007 में हुए यूपीएससी की परीक्षा में 48वां रैंक लाकर आईएएस अधिकारी का पद हासिल किया.
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