व्यक्ति के जीवन में उसके मां-बाप का होना बहुत जरूरी है. आपको बता दें कि अगर किसी केसर से माँ-बाप का साया उठ जाता है, तो उसके लिए जिंदगी काफी मुश्किल हो जाती है. बिना माँ बाप के इस दुनिया में जिंदगी गुजारना और अपना करियर बनाना काफी मुश्किल होता है. लेकिन जो व्यक्ति कभी हिम्मत नहीं पड़ता उसके लिए यह सब कुछ बेहद आसान हो जाता है. ऐसे ही आज हम आपको एक भारतीय खिलाड़ी के बारे में बताएंगे, जिसने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया था. लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने क्रिकेट में अपना करियर बनाया और आज पूरी दुनिया उसे जानती है.
हम जिस भारतीय खिलाड़ी के बारे में बात कर रहे हैं, उस भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी का नाम रविंद्र जडेजा है. रविंद्र जडेजा एक ऐसा नाम है जो किसी परिचय की मोहताज नहीं. वर्तमान समय में रविंद्र जडेजा भारतीय क्रिकेट टीम का एक अहम हिस्सा है. ऐसा माना जाता है कि रविंद्र जडेजा के बिना भारतीय टीम अधूरी लगती है. रविंद्र जडेजा एक बेहतरीन बॉलर होने के साथ-साथ एक ताबड़तोड़ बल्लेबाज भी है. यही नहीं बल्कि वह बिल्डिंग भी काफी अच्छा करते हैं. यही कारण है कि रविंद्र जडेजा को भारतीय क्रिकेट टीम की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है.
लेकिन क्रिकेटर बनना रविंद्र जडेजा के लिए आसान नहीं था. आपको बता दें कि रविंद्र जडेजा काजल में 6 दिसंबर साल 1988 में हुआ था. जब रविंद्र जडेजा मात्र 17 साल के थे, तब उनकी माँ का देहांत हो गया था. उनकी मां का देहांत एक सड़क दुर्घटना में हुआ था. उस समय रविंद्र जडेजा क्रिकेट की प्रैक्टिस किया करते थे. वह एक क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन माँ के देहांत के बाद वह अपना करियर दूसरे फिल्ड में बनाना चाहते थे, क्योंकि उनके घर में पैसों की कमी हो गई थी. ऐसे मुश्किल हालात में रविंद्र जडेजा की बहन ने उनका पूरा साथ दिया और उनकी हिम्मत बढ़ाई.
रवि भैया की बहन रविंद्र जडेजा को हिम्मत देने के साथ-साथ आर्थिक स्थिति भी संभाली. ऐसा कहा जाता है कि रविंद्र जडेजा के क्रिकेटर बनने के पीछे उनकी बहन का हाथ है. वह रविंद्र जडेजा को पाल पोस कर पूरे विश्व का सबसे खतरनाक ऑलराउंडर बना दिया. आज रविंद्र जडेजा किसी पहचान की मोहताज नहीं है.
Discussion about this post