हमने और आपने अध्यापकों के बारे में तमाम प्रेरणा देने वाली कहानी सुनी. माता-पिता के बाद अध्यापक ही होता है. जो हमें सही और गलत का पाठ पढ़ाता है. कुछ अध्यापकों के लिए बच्चों को पढ़ाना एक जरूरत होती है. वहीं कुछ लोगों के लिए पैशन होता है. इस आर्टिकल में हम आपको एक ऐसी महिला प्रोफेसर के बारे में बताने वाले हैं. जो 93 साल की उम्र में भी बच्चों को पढ़ाने का काम करती है और बैसाखी के सहारे कॉलेज जाती है. जी हां, हम प्रोफेसर संतम्मा के बारे में बात कर रहे हैं.
बैसाखी के सहारे कॉलेज जाती हैं संतम्मा

93 साल की इस महिला प्रोफ़ेसर का नाम चिलुकुरी संतम्मा है. जो बच्चों को फिजिक्स पढ़ाने का काम करती हैं. यह पिछले 6 दशकों से यूनिवर्सिटी के छात्रों को पढ़ाने का काम कर रही हैं. अब इनकी उम्र 93 बरस हो चुकी है लेकिन इस उम्र में भी यह बैसाखीयों के सहारे यूनिवर्सिटी जाती है और मुस्कुराती हुई क्लास में एंट्री लेती हैं. सेंटुरियन यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाली संतम्मा का सफर अभी भी नहीं थमा है. वे छात्रों को फिजिक्स तो पढ़ाई रही हैं. साथ ही लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन गई हैं. यह कहती हैं उनकी मां 104 साल जीवित रही थी और उन्होंने भी समाज के लिए काम किया था. उनके मुताबिक वह भी तब तक बच्चों को पढ़ाना चाहती हैं. जब तक उनका जीवन है.
छात्रों के बीच हैं काफी पॉपुलर

बता दें, छात्र प्रोफेसर संतम्मा को दूसरे नाम इनसाइक्लोपीडिया के नाम से बुलाते हैं. कहते हैं इनके पास नॉलेज का अदम्य भंडार है और इनका आज तक का रिकॉर्ड है. यह कभी भी क्लास में लेट नहीं पहुंचती हैं. अनुशासन और डेडीकेशन से भरपूर प्रोफेसर संतम्मा ने वाकई इस उम्र में दिखा दिया है. उम्र सिर्फ एक संख्या होती है. अगर आप जीवन में कुछ भी हासिल करना चाहते हैं तो इसके लिए कोई उम्र तय नहीं है. बता दें, यह 60 साल की उम्र में साल 1989 में रिटायर हो गई थीं, लेकिन उसके बाद भी बच्चों को पढ़ा रही हैं.
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