इस ब्रह्मांड में कोई भी ऐसा मुकाम या स्थान नहीं है जहां तक इंसानों की पहुंच न हो या मनुष्य वहां तक न पहुंच सके. बस जरूरत होती है एक दृढ़ सोच की और कभी न टूटने वाले हौसलों की. इसी दृढ़ और अटूट हौसले रखने वाले बिहार के एक लाल ने ऐसा कर दिखाया है जिसे आप भी जान कर हैरान हो जाएंगे. बेहद गरीब फैमिली से संबंध रखने वाले बिहार के विशाल ने अपनी गरीबी की सारी बाधाओं को झेलते हुए यूपीएससी में एक अच्छा रैंक लाकर लोगों के लिए मिसाल बन गया है.
विशाल को सफलता के पीछे उनके परिवार वालों का खासकर विशाल की मां का बहुत बड़ा रोल है. क्योंकि विशाल के पिता के देहांत के बाद विशाल की मां ने ही अपने बेटे को यूपीएससी में 484 वां रैंक दिलाने में कहीं ना कहीं बहुत बड़ा हाथ है. विशाल के पिता का देहांत विशाल को मैट्रिक का एग्जाम देने से पहले ही हो चुका था. इस उम्र में सर से पिता का साया उठ जाने से विशाल के जीवन में काफी बाधाएं आने वाली थी. लेकिन विशाल की मां ने अपनी मेहनत के बलबूते बकरी और भैंस पालघर अपने बेटे का भरण पोषण किया . इस दौरान कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. लेकिन किसी ने सही कहा है, सफलता का कोई मंत्र नहीं है यह तो सिर्फ परिश्रम का फल है.

विशाल के लिए उनके अध्यापक गौरीशंकर सिंह का होना भी विशाल के लिए वरदान साबित हुआ. विशाल ने खुद बताया है कि, मेरी पढ़ाई के लिए फीस अध्यापक गौरी शंकर ही देते थे. इसके अलावा विशाल ने बताया कि जब पढ़ाई को लेकर मुझे रहने में दिक्कतें हो रही थी तब अध्यापक गौरीशंकर ने ही मुझे रहने के लिए अपने ही घर में जगह दी थी. परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए मैं नौकरी करने लगा था. तभी गौरी शंकर ने ही मुझे नौकरी छोड़ यूपीएससी की तैयारी करने को कहा था. इस दौरान उन्होंने मेरी आर्थिक मदद भी की थी.

विशाल बिहार के मुजफ्फरपुर गांव मकसूदपुर का रहने वाला है. आपको बता दें कि विशाल ने साल 2011 में मैट्रिक की परीक्षा में टॉप स्थान पर रहा था. साल 2013 में परीक्षा पास कर आईआईटी कानपुर में एडमिशन लिया. वहां से साल 2017 में पास आउट होकर निकला. इसके बाद रिलायंस कंपनी में विशाल ने तकरीबन 1 साल तक जॉब भी किया. इसी जॉब के दौरान गौरी शंकर ने विशाल को इस जॉब को छोड़कर यूपीएससी की तैयारी करने के लिए कहा था. और आज विशाल सबके लिए एक मिसाल बनकर यूपीएससी में सफलता हासिल की है.
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