हमारे समाज में तमाम ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं. जहां बहुत सारे लोग मुश्किलों को देखकर हार मान लेते हैं और संघर्ष नहीं करते हैं. वहीं कुछ ऐसे चुनिंदा उदाहरण भी समाज में मौजूद हैं. जो हर किसी के लिए मिसाल बन जाते हैं और संघर्ष की बदौलत अपने जीवन में बड़े-बड़े मकाम हासिल कर लेते हैं. आज के इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसी लड़की की कहानी बताने वाले हैं. जिसकी महज 5 वर्ष की उम्र में आंखों की रोशनी चली गई थी लेकिन उसने हार नहीं मानी और अब मेहनत के दम पर आईएएस बन चुकी हैं. तो चलिए आपको बताते हैं यह कारनामा करने वाली पूर्णा संथारी के बारे में.
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परिस्थितियों से लड़कर हासिल किया मुकाम
जिस पूर्णा संथारी के बारे में हम आपसे बात कर रहे हैं. वह केरल राज्य के मदुरई शहर की रहने वाली हैं. इनके पिताजी मार्केटिंग सेल्स में बतौर एक्जीक्यूटिव काम करते हैं. वहीं इनकी मां घर का कामकाज संभालती हैं. इनके घर की आर्थिक कंडीशन कोई खास नहीं थी फिर भी उन्होंने संघर्ष किया और अथक प्रयासों की बदौलत साल 2019 में यूपीएससी परीक्षा पास की थी. इनको इस परीक्षा में 229 वी रैंक हासिल हुई थी. बता दें, पूर्णा संथारी ने यह परीक्षा पांचवें प्रयास में पास की थी.
साल 2016 से उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करना शुरू किया था. इसके बाद साल 2018 में इन्होंने केरल सरकार के द्वारा आयोजित कराई जाने वाली परीक्षा में भी पार्टिसिपेट किया था और उसमें सफलता हासिल करने के बाद उन्होंने कुछ समय तक बतौर क्लर्क भी नौकरी की थी. इस दौरान यूपीएससी की तैयारी को नहीं छोड़ा और पढ़ाई भी निरंतर करती रही. वहीं उसका फल उन्हें साल 2019 मिला.
राज्य टॉपर भी रही पूर्णा संथारी
पूर्णा संथारी के घरवाले बताते हैं कि यह हमेशा से ही पढ़ाई लिखाई में अव्वल थी और इन्होंने दसवीं कक्षा में केरल राज्य में टॉप किया था. स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने केरल के ही फातिमा कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में बैचलर की डिग्री हासिल की थी और उस समय ही इन्होंने सोच लिया था कि वह आगे चलकर आईएएस बनेंगी. यह बताती हैं कि उनकी पढ़ाई लिखाई में ऑडियो फॉर्मेट बुक्स ने काफी मदद की थी और उन्होंने यूपीएससी का पूरा सिलेबस ऑडियो फॉर्मेट में लेकर अपने पास रख लिया था. जिसकी बदौलत उन्होंने पढ़ाई की थी. वहीं अब यह बताती हैं कि वह महिला और स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में काम करना चाहती हैं.
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