Lepakshi Temple: कहते है हमारे हिंदू धर्म ने 33 करोड़ देवी देवता है। लोगों को भगवान पर, इन देवी देवताओं पर इतनी ज्यादा आस्था है कि यहां आपको हजारों मंदिर दिखने को मिलते हैं। हमारे भारत वर्ष के हर एक मंदिर की अपनी एक खास विशेषता है। इसी वजह से हमारे भारत देश को मंदिरों का देश भी कहते है। यहां कई सारे तरह तरह के चमत्कारी मंदिर है। ऐसे ही एक चमत्कारी मंदिरों में से एक अनोखा मंदिर आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित है। अनंतपुर का यह मंदिर अपने आप में ही बहुत रहस्यमई है। यह अनोखा मंदिर है आंध्र प्रदेश का लपक्षी मंदिर। इस मंदिर (Lepakshi Temple) को हैंगिंग पिलर टेंपल भी कहा जाता है। लेपाक्षी मंदिर को खास इसका एक विशेष खंभा बनाता है जो कि जमीन से जरा भी जुड़ा हुआ नहीं है। यह खंबा हवा में लटका हुआ दिखाई पढ़ता है।
मंदिर में आने वाले कई सारे श्रद्धालु खंबे के नीचे से कपड़ा निकालते हुए दिखाई देते हैं। उन लोगों का मानना है ऐसा करने से घर में सुख और समृद्धि आती है। इस मंदिर का यह खंभा जमीन से लगभग आधा इंच ऊपर उठा हुआ है। यह खंभा ऐसा क्यों है, इसका जवाब आज तक किसी के पास भी नहीं है। लेपाक्षी मंदिर के इस हवा में झूलते हुए खंभे को आकाश स्तंभ नाम से भी जाना जाता है।
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मन्दिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस ब्रिटिश राज के दौरान एक ब्रिटिश इंजीनियर ने मंदिर की बनावट कैसी है, ये समझने के लिए इस खंभे को हिलाया था। कहते है कि, तभी से उसके बाद से यह खंभा हवा में झूल रहा है। लेपाक्षी मंदिर इष्ट देव भगवान शिव शंकर के क्रूर रूप अवतार वीरभद्र का है। इस मंदिर में भगवान शिव के और भी अन्य सभी रूपों की भी पूजा की जाती है। इन रूपों में से एक है अर्धनारेश्वर कंकाल मूर्ति दक्षिण मूर्ति जो कि कर्मासेलम की पहाड़ियों पर मौजूद है और एक कछुए के आकार का है। ऐसी मान्यता है कि 19वीं सदी के दौरान दो भाइयों द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया था।
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लेपाक्षी मंदिर (Lepakshi Temple)के बारे में पौराणिक मान्यता है कि, इस मंदिर को ऋषि अगस्त्य ने बनवाया था। इस मंदिर का जिक्र हमे रामायण में भी देखने को मिलता है। मान्यताओं के अनुसार कहते है कि, रावण से युद्ध करने के बाद जख्मी जटायु इसी मंदिर में आ गिरे थे। जटायु ने इसी मंदिर में भगवान राम को रावण का पता भी बताया था। इस मंदिर में एक बहुत ही बड़ा पैर का निशान भी मिलता है। कुछ लोग कहते है कि यह निशान भगवान राम के पैर का निशान है।
कुछ लोग इस निशान को हनुमान, और कुछ लोग सीता माँ के पैर के निशान भी मानते हैं।