हमारे देश भारत में लोग कलाकारों की काफी आदर करते हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि हमारे देश भारत में अब कलाकारों को याद अरमान होने लगी है. आपको बता दें कि हमारे देश भारत में शुरू से ही कलाकारों का एक अलग आदर दिया जाता रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी अब धीरे-धीरे हमारे देश भारत से कला गायब होती जा रही है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हमारा देश डिजिटलाइजेशन की तरफ काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. कलाकारों के द्वारा बनाई गई वस्तुओं को लोग कम पसंद करने लगे हैं और मशीनों द्वारा बनाई गई वस्तुओं के लोग दीवाने होते जा रहे हैं. यही कारण है कि हमारे देश में कलाकारों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है.
लेकिन इसके बावजूद भी हमारे देश के कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने आज तक कलाकारी को जीवित रखा है. उन्हीं में से एक नाम लीला बोर्डिया का है. लीला हमारे देश भारत के राज्य पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की रहने वाली है. यह बात तब की है जब वह कोलकाता से जयपुर घूमने के लिए गई थी.लेकिन यहाँ उन्होंने कलाकारों द्वारा बनाई गई शिल्प कला को बड़ी गौर से देखा और से देखने के बाद उन्हें पता चली कि कलाकारों ने जो कला बनाई है, वह 14वीं शताब्दी के मंगोलों द्वारा बनाई गई कला की कुछ झलकियां थी. वह कलाकार ब्लू पॉटरी कला पर काम कर रहे थे.
जयपुर में ब्लू पॉटरी बनाने वाले कलाकारों की हालत कुछ खास नहीं थी. जिसके बाद लीला ने यह फैसला किया कि, वह इन कलाकारों की जिंदगी पूरी तरह बदल देंगे. जिसके बाद उन्होंने नीरजा इंटरनेशनल की स्थापना की. यह संस्था ब्लू पॉटरी कला को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी. धीरे-धीरे नीरजा इंटरनेशनल आगे बढ़ती चली गई और आज ही यह हजारों शिल्प कलाकारों के जिंदगी संवारने में सफल रही.
आपको बताते चलें कि आज लीला द्वारा स्थापित की गई नीरजा इंटरनेशनल ब्लू पॉटरी को बनाने के लिए कलाकारों का हौसला भी बढ़ाती है और उनके द्वारा बनाए गए कलाकारी को बेचती भी है. यही कारण है कि आज हजारों कलाकारों को एक नई जिंदगी मिल गई है. नीरजा इंटरनेशनल की स्थापना के बाद से अपील के कलाकारों में खुशी की लहर दौड़ गई.
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