हमारे जीवन में कई सारी अहम जरूरत है और इनमें से एक जरूरत पैसा भी है. पैसे का आदान-प्रदान हम रोजाना बाजार से कुछ भी चीज खरीदने के लिए करते हैं. इसके अलावा पैसे के बहुत सारे काम है. इसके साथ ही अक्सर जब हम लोग इस्तेमाल करते हैं तो नोट पर कई सारी चीजें लिखी होती हैं. कुछ तस्वीरें भी छपी होती हैं, लेकिन क्या कभी आपके दिमाग में सवाल आया है कि नोट पर गवर्नर के द्वारा ऐसा क्यों लिखा होता है कि मैं धारक को इतना रुपया अदा करने का वचन देता हूं. आखिर क्यों इस लाइन को नोट पर लिखा जाता है और इसके पीछे का लॉजिक क्या है. अगर नहीं जानते तो इस आर्टिकल में यही सब हम आपको बताने वाले हैं.
इसलिए जरूरी हैं नोट पर लिखी बातें

आपने नोटिस किया होगा. एक रुपए के सिक्के को छोड़कर सभी नोटों पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के सिग्नेचर होते हैं. इसके साथ ही नोट पर यह भी लिखा होता है. मैं धारक को 10 रुपए अदा करने का वचन देता हूं. मैं धारक को 20 अदा करने का वचन देता हूं. इसी तरीके से 10 के नोट से लेकर 2000 के नोट पर लिखा होता है लेकिन क्या कभी आपने सोचा ऐसा क्यों लिखा होता है तो आपको बता दें, इसका मतलब है. अगर आप 200 के नोट से कुछ खरीद रहे हैं तो इसका मतलब साफ है. आप इस नोट के बदले सिर्फ 200 का ही सामान खरीद पाएंगे. यहां गारंटी दी जाती है कि जिस नोट पर जितने रुपए को अदा करने की बात कही गई है. उसकी वैल्यू उतनी ही मानी जाएगी.
1935 में हुई आरबीआई की स्थापना

आपको जानकारी के लिए बता दें, पहले भारतीय नोटों की छपाई का काम भारत सरकार की निगरानी में किया जाता था. जो आज भी किया जाता है, लेकिन उस समय इसके लिए कोई अलग संस्था नहीं हुआ करती थीं वर्तमान समय में आरबीआई नोटों को प्रिंट करने का काम करती है. साल 1935 में आरबीआई की स्थापना करी गई थी. जो भी नोट आरबीआई के द्वारा प्रिंट किया जाता है. उस पर आरबीआई के गवर्नर के सिग्नेचर होना बेहद जरूरी है. अगर किसी नोट पर आरबीआई के गवर्नर के सिग्नेचर नहीं होंगे तो वह भारत में मान्य नहीं होगा.
To get secure cheap & best deal from Flipkart, Amazon, Ajio, and Myntra then do join our Telgram group.
Discussion about this post