Shab-E-Barat: इस्लाम धर्म में शब– ए– बारात बहुत महत्व रखता है। इस दिन रात को सारे मुस्लिम समुदाय के लोग इबादत करते हैं। रातभर मस्जिदों और घरों में नमाज पढ़ी जाती है। साथ में इबादत की जाती है, दुआएं की जाती हैं। लोग इस दिन अपने गुनाहों के लिए आल्हा से तौबा करते है।
मुस्लिम समुदाय के प्रमुख त्योहारों में से एक होता है, ये शब–ए–बारात। शब-ए-बारात शाबान महीने की 15वीं तारीख को रात में मनाई जाती है। जो इस साल 18 मार्च 2022 को सूर्यास्त से शुरू होकर 19 मार्च सुबह तक मनाई गईं।
ऐसा कहते है कि, शाबान की 15 तारीख को शिया मुसलमानों के 12वें इमाम मुहम्मद अल महदी का जन्म हुआ था, वहीं सुन्नी मुसलमानों का मानना है कि इस दिन अल्लाह ने नूह (ईसाई धर्म में नूह) के सन्दूक को बाढ़ से बचाया था।
शब–ए–बारात का अर्थ
शब का अर्थ होता है, रात और बारात यानी होता है बरी होना। शब-ए-बारात (Shab-E-Barat) के दिन दुनिया को छोड़कर जा चुके लोगों की कब्रों पर उनके अपने और परिवारजनों के द्वारा रोशनी की जाती है, और दुआ मांगी जाती है। कहते है, कि अगर इस दिन अल्लाह से सच्चे मन से अपने गुनाहों की माफी मांगते है, तो जन्नत नसीब होती है।
मुस्लिम समुदाय के लोग शब-ए-बारात (Shab-E-Barat) के दूसरे दिन रोजा रखते है। रोजा फर्ज नहीं है, बल्कि नफिल रोजा कहा जाता है। मतलब ये हुआ कि, ये रमजान के रोजों की तरह जरूरी नहीं होता। कोई रखे तो पुण्य तो मिलता है,पर न रखे तो कोई गुनाह भी नहीं माना जाता।
शाबान का अर्थ है ‘दो चीजों के बीच होना’ और यह रजब के महीनों और रमजान के प्रसिद्ध पवित्र महीने के बीच आता है।
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पर्व के मनाए जाने की मान्यताएं
माना जाता है, कि पैगंबर मुहम्मद ने अपने परिवार के सदस्यों के लिए मदीना के एक कब्रिस्तान जन्नत अल बाकी के कब्रिस्तान में प्रार्थना की थी। मानते है, कि इस दिन सभी के अतीत के कार्यों को ध्यान में रखकर सभी की किस्मत लिखते हैं। शब-ए-बारात (Shab-E-Barat) के दिन ही अल्लाह पापियों को दया और क्षमा देते है।
कुछ लोग तो यह भी कहते है,कि मृतकों की आत्माएं अपने जीवित वंशजों से मिलने पृथ्वी पर आती है। कुछ ओर जी तो ये भी कहते है, कि स्वर्ग में एक पेड़ है जिसके पत्तों पर सभी के नाम हैं। अगर कोई पत्ता गिरे तो आने वाले साल में उन लोगों की मौत हो जाएगी। इस्लामिक रिलीफ ने कहा है, कि शाबान कई कारणों से एक अनमोल महीना है, क्योंकि पैगंबर इस महीने में उपवास रखते थे, और यह वह महीना है जिसमें अल्लाह अपने सेवकों के कामों को बढ़ाता है। अरब जगत में इस दिन को लैलत अल-बरात के नाम से भी जाना जाता है।